नई दिल्ली। कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते भारत के सभी स्कूल/कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। सरकार पर प्राइवेट स्कूलों का भारी दबाव है। कई प्राइवेट स्कूल एवं कॉलेज भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस पार्टी के पावरफुल नेताओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। खबर आ रही है कि इसी दबाव के चलते हैं सरकार 1 सितंबर 2020 से अनलॉक स्कूल का चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू करने वाली है जिसकी घोषणा 15 अगस्त 2020 को की जा सकती है। इन खबरों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसी स्थिति में स्कूल खोलना स्टूडेंट्स के लिए जानलेवा हो सकता है।
भारत के स्कूलों में हैंड वॉश और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो पाएगा
WHO और यूनिसेफ के मुताबिक भारत के प्रति तीन स्कूलों में से केवल एक स्कूल में पीने का पानी की व्यवस्था है, ऐसी हालत में भारत के स्कूलों में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर हालत खतरनाक हो सकते हैं। गौरतलब है कि पानी के अभाव में बार-बार हाथ नहीं धोने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि WHO और यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले की तुलना में अब भारत में हेंड वॉश करने की सुविधा में तेजी से बढ़ोतरी हुई है लेकिन देश के कई इलाके अभी भी ऐसे हैं, जहां स्कूलों में साबुन की कमी है।
दुनिया के 469 मिलियन से अधिक बच्चों के पास स्वच्छता सेवाएं उपलब्ध नहीं
WHO और यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्तर पर 469 मिलियन से अधिक बच्चों के पास 2019 में स्कूल में स्वच्छता संबधी कोई सेवा उपलब्ध नहीं थी। इन बच्चों में 244 मिलियन बच्चे अफ्रीका से हैं। WHO और यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 60 देशों में कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य और मानवीय संकट का सबसे अधिक खतरा है। आधे से ज्यादा देशों के पास तो बुनियादी स्वच्छता सेवा का भी अभाव है।
भारत के स्कूलों में स्वच्छ शौचालय तक नहीं है
रिपोर्ट में भारत के संबंध में कहा गया है कि अधिकांश स्कूलों में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए शौचालय सुविधा का भी अभाव है। ऐसे में भारत में कोविड-19 महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच स्कूलों को खोलना खतरनाक साबित हो सकता है। यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि हमें बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देना चाहिए, लेकिन बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।