भोपाल। कोई माई का लाल यह नहीं कह सकता कि मध्यप्रदेश में केवल गरीबों से रिश्वत ली जाती है। रिश्वत वसूली के मामले में बड़ा हो या छोटा सबको एक नजर से देखा जाता है। इटारसी के एक फॉरेस्ट गार्ड ने अपने ही विभाग के मंत्री के वाहन को पास करने के बदले रिश्वत मांग ली। जबकि वन मंत्री के वाहन चालक के पास सभी आवश्यक अनुमति या उपलब्धि थीं।
मध्यप्रदेश में वन विभाग के गार्ड ने वन मंत्री से रिश्वत मांगी
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से नए तरह की रिश्वतखोरी शुरू हुई है। पहले आप यदि कोई अवैध काम करें तो कार्रवाई से बचने के लिए रिश्वत दी जाती थी परंतु अब नियमानुसार काम करने के लिए भी रिश्वत देनी होती है। मप्र के वनमंत्री विजय शाह के लिए सुखतवा से तैयार होकर भोपाल जा रहा सागौन का फर्नीचर से भरा वाहन सुखतवा बीट में पदस्थ एक वनरक्षक ने रोक लिया। खास बात यह कि इस फर्नीचर का बिल भी मंत्री जी के नाम था और परिवहन समेत सभी तरह की अनुमति थी, इसके बावजूद वनकर्मी प्रदीप रावत ने वाहन चालक से पैसे मांग लिए।
जांच शुरू हो गई है, दोषी पाया गया तो कार्रवाई करेंगे
मजेदार बात तो यह है कि इतना सब कुछ हो जाने के बावजूद आरोपी फॉरेस्ट गार्ड को सस्पेंड नहीं किया गया बल्कि एसडीओ फॉरेस्ट शिव अवस्थी ने सिर्फ एक बयान दिया है। कहा है कि इसकी जांच कराई जा रही है। सोचने वाली बात है, भ्रष्टाचार मध्य प्रदेश की सरकारी व्यवस्था में कितने नीचे तक और कितनी मजबूती के साथ जमा हुआ है।