भारतीय दण्ड संहिता में तथ्यों की भूल से की गई कोई हत्या तो क्षमा योग्य होती है या भूलवंश किसी की मृत्यु हो जाए वो भी क्षमा योग्य है लेकिन आपराधिक उद्देश्य से किसी को मारने के लिए बार करना या किसी को खाने में जहर मिलाकर मारने के लिए रखना और ऐसे में जिसे मारना है वह न मरे और अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाए ऐसे में आरोपी व्यक्ति पर एक नई धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 301 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की मृत्यु करनें के उद्देश्य से निम्न कृत्य करता है, जैसे- गोली चलाकर मारना, जहर देना, बार करना, अस्त्र शस्त्र से प्रहार करके मारना आदि के कारण जिस व्यक्ति की हत्या करना है उसको छोड़कर, किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तब ऐसा कृत्य करने वाला व्यक्ति हत्या के अपराध का दोषी न होकर धारा 301 के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- वार करने या अपकृत्य करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य किसी व्यक्ति की मृत्यु करना होना चाहिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 301 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार सत्र न्यायालय को होता है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम आजीवन कारावास या कम से कम 10 वर्ष की करावास एवं जुर्माने से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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