INDORE: कैश वैन के गनमेन की गोली लगने से मौत, हत्या, आत्महत्या या हादसा कुछ भी स्पष्ट नहीं - MP NEWS

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इंदौर।
 मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के एमजी रोड पर इंद्रप्रस्थ टावर में निजी बैंक के कैश वैन के गार्ड गौरी नगर के 40 साल के चरण सिंह पुत्र ईश्वर दयाल चौधरी की गोली लगने से मौत हो गई। बैंक के बाहर ही वह कैश ले जाने का इंतजार कर रहा था। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह हादसा है या गनमैन ने स्वयं गोली मारी है।  

पुलिस और फारेंसिक अधिकारी जांच में जुटे हैं। पिता ने आरोप लगाया है कि दिनेश यादव और जगन्नाथ यादव नाम दो लोग रुपयों को लेकर परेशान कर रहे थे, उनके दवाब में आकर आत्महत्या की है। तुकोगंज थाना पुलिस ने मर्ग कायम कर, शव एमवाय पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। गुरुवार को सुबह पोस्टमार्टम किया जाएगा।

घटना बुधवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे की है। बैंक के बाहर वैन में गनमेन चरण सिंह चौधरी, राजवीर सिंह, रुपये लोड करने वाला (लोडर) रितेश सुमन, ड्राइवर अनिल दास थे और कंपनी का सुपरवाइजर अरुण ठाकुर वैन के बाहर खड़ा था। सभी वैन में रुपये लोड करने का इंतजार कर रहे थे। ड्रायवर अनिल दास और राजवीर सिंह बैठे थे। पीछे की सीट पर गनमेन चरण सिंह और ठीक पास में रितेश सुमन बैठा था। 

अचानक से धमाके की आवाज आई तो आगे बैठा गार्ड राजवीर सिंह, रितेश और ड्राइवर अनिल घबराकर गाड़ी के बाहर आए। उन्हें पहले तो लगा कि गाड़ी का टायर फटा है, इतने में पीछे की सीट पर देखा तो चरण सिंह मृत अवस्था में पड़ा था और तीनों की शर्ट पर खून के छींटे थे। 12 बोर की बंदूक की गोली कनपटी के पास से होती हुई, सिर के ऊपर से निकल गई थी। कर्मचारी अरुण भी आया और फिर बैंक के स्टाफ सहित अन्य लोग इकट्ठे हो गए। चरण सिंह के दो बेटे और एक बेटी है। बड़ा बेटा आशीष, बेटी कशिश और छोटा बेटा मोक्ष है।

पिता ने आरोप लगाते हुए कहा कि गौरी नगर स्थित मकान बेचने का 27 लाख 50 हजार रुपये में सौदा दिनेश और जगन्नाथ से हुआ था। बदले में एडवांस के रूप में 10 हजार रुपये चरण सिंह ने लिए थे। तीन महीने का अनुबंध था, लेकिन दिनेश और जगन्नाथ फोन लगाकर चरण सिंह से रुपये मांग रहे थे, बुधवार को भी सुबह फोन किया था। उनका कहना था कि या तो रुपये वापस कर दो या फिर मकान की रजिस्ट्री कर दो। इसी से परेशान होकर बेटे ने जान दी है।

साथी गनमैन राजवीर ने बताया कि कैश लाने व ले जाने का काम रहता है। एटीएम में रुपये डालने की जिम्मेदारी वैन में सवार पांच लोगों की होती है, इसलिए बंदूक हमेशा लोड रखनी पड़ती है। गोली कैसे चली इसकी जानकारी नहीं है। चारों गाड़ी में बैठे थे। चरण सिंह ने किसी तरह की हलचल भी नहीं की, जिससे यह लगे कि वह खुद को गोली मार लेगा।

पुलिस का कहना है कि गोली दाईं तरफ कनपटी के पास लगी है। जो व्यक्ति 12 बोर की लायसेंसी बंदूक रखता है, वह संभालकर उसका इस्तेमाल करता है, लापरवाही में भी कनपटी के पास बंदूक की नाल रखना मुश्किल है। गाड़ी भी खड़ी हुई थी, इसलिए यह संभावना भी कम लग रही है कि गोली झटके से चली होगी। गार्ड को यह भी पता होता है कि बंदूक लोड है।

जांच अधिकारी का कहना है कि यदि उसे खुद गोली मारनी होती तो बाजू में बैठे रितेश को हलचल समझ में आती। आत्महत्या ही करनी थी तो अकेले में जाकर कर सकता था, या बाहर निकलके भी गोली चला सकता था। ऐसे में आत्महत्या की संभावना कम लग रही है।

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