DAMOH CHUNAV: लोकतंत्र का अपहरण और कमजोर कांग्रेस का विधवा विलाप - प्रसंगवश - चंद्रशेखर डंगौरा

भोपाल।
मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट पर उप चुनाव की वोटिंग होने वाली है। इसके ठीक पहले सत्ताधारी दल द्वारा पुलिस की सुरक्षा में लोकतंत्र का अपहरण किया गया और दुख की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के नेता सिर्फ सोशल मीडिया पर विधवा विलाप कर रहे हैं। राजनीति की बहुत सारी किताबों में लिखा है कि जब विपक्ष कमजोर होता है तो सत्ता पक्ष निरंकुश हो जाता है। यह घटना इसी बात को प्रमाणित करती है। 

दमोह में मतदान से पहले क्या हुआ 

सब कुछ खुलेआम हुआ। क्लब हाउस के बाहर कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह की कार खड़ी थी। कार की खिड़की में झांकने पर नोटों की गड्डियां साफ दिखाई दे रही थी। कोरोनावायरस से संक्रमित कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन होम आइसोलेशन का प्रोटोकॉल तोड़ते हुए कार के पास तक जा पहुंचे। 2 घंटे तक वहीं बैठे रहे। वह CAR की जांच कराना चाहते थे। कमरा नंबर 101 में ताला लगा हुआ था। कांग्रेस प्रत्याशी का दावा था कि उसमें नोट भरे हुए हैं। ताला खुलवाना चाहते थे लेकिन कुछ नहीं करवा पाए। उनकी आंखों के सामने पुलिस की मौजूदगी में CAR को रवाना कर दिया गया। 

मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के नेता क्या कर सकते थे 

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अपने भाषणों में हमेशा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बात करते हैं। वह बार-बार लोकतंत्र की बात करते हैं परंतु लोकतंत्र की रक्षा के लिए कभी मैदान में दिखाई नहीं देते। इस घटना के बाद अब तक कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को आमरण अनशन पर बैठ जाना चाहिए था, परंतु कमलनाथ की लाइफस्टाइल ऐसी नहीं है कि इस तरह की घटनाओं में वह तत्काल कोई कदम उठाते हो। जीतू पटवारी और सज्जन वर्मा जैसे नेता इंदौर में पत्रकारों को बुलाकर बयान जारी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर विधवा विलाप किया जा रहा है। यदि वास्तव में कांग्रेस के प्रत्याशी को दमोह में समर्थन प्राप्त होता तो जनता उनके साथ दिखाई देती। 25-50 समर्थकों वाले नेता कानून तोड़ने वालों के खिलाफ क्या कुछ कर पाएंगे।

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