कोरोना से जीता मरीज सिस्टम से हार गया, डिस्चार्ज के बाद भी सामाजिक बहिष्कार जारी | MP NEWS

भोपाल। लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए सरकार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के घर पर DO NOT VISIT का नोटिस लगाती है यानी कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज के परिवार का सरकार के निर्देश पर सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है। मध्यप्रदेश के शिवपुरी में कोरोना वायरस से जंग जीतकर लौटे पैट्रोलियम इंजीनियर दीपक शर्मा का सामाजिक बहिष्कार अभी भी जारी है। पास पड़ोसी बात करना तो दूर देखना तक पसंद नहीं कर रहे। पूरा परिवार डिप्रेशन में चला गया है। हालत यह बन गए हैं कि दीपक शर्मा अपना घर बेचकर कहीं और जाने की तैयारी कर रहे हैं।

सिर्फ एक रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, सारी जिंदगी बदल गई

दुबई से लौटे पेट्रोलियम इंजीनियर दीपक शर्मा ने खुद आगे बढ़कर प्रशासन को अपनी जानकारी दी थी। दुबई से लौटने के कारण प्रशासन ने सैंपल कलेक्ट किया। दीपक शर्मा में वैसा कोई लक्षण नहीं था जैसा कि डॉक्टर बताते हैं परंतु फिर भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दीपक शर्मा को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया गया। उसके घर पर एक नोटिस लगा दिया गया जिसके अनुसार सरकार ने दीपक शर्मा के परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने का आदेश दिया था। आइसोलेशन वार्ड में दीपक शर्मा की जितनी भी बार जांच की गई हर बार रिपोर्ट नेगेटिव आई। उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया परंतु मोहल्ले में बहिष्कार जारी है। 

लोग देखते ही दरवाजे बंद कर लेते हैं

इस संबंध में दीपक ने बताया कि मेरे बीमार होकर घर लौटने के बाद पिता ने मकान बेचने का निर्णय लिया है। पिता ने घर के बाहर तख्ती टंगवा दी है। दीपक का कहना है कि मुझे कोरोना बीमारी हुई, यह किसी को भी हो सकती है। इसलिए किसी को किसी के साथ बुरा बर्ताव नहीं रखना चाहिए। बल्कि मुश्किल दौर में हौसला बढ़ाने का काम करना चाहिए। जिस दिन में ठीक होकर लौट रहा था उसी दिन से लोग मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं हत्या का अपराधी हूं। सोचा कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा। कुछ नहीं बदला, लोग मुझसे और परिवार से ऐसा बर्ताब करने लगे की हमारा पूरा परिवार आत्मग्लानि से घिर गया। डिप्रेशन जैसा महसूस होने लगा। जो लोग हमारे घर आते-जाते थे वे हमें दरवाजे पर खड़ा देखकर दरवाजा बंद कर लेते हैं। 

सर मकान नहीं बेचना, शहर भी छोड़कर चले जाएंगे

दीपक ने कहा कि अभी तो में यहां हूं, जब स्थिति सामान्य हो जाएंगी तो फिर अपने काम पर दुबई चला जाउंगा। इसके बाद माता-पिता यहां कैसे रह पाएंगे। इसलिए मकान बेचने का फैसला लिया है। जैसे ही मकान बिक जाएगा ग्वालियर चले जाएंगे। वहीं रहने का निर्णय पूरे परिवार ने किया है। हालांकि वह मूलत: कोलारस के रहने वाले हैं। कोलारस में पुस्तैनी मकान व खेती की जमीन भी है।

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