डॉक्टर गरीबों का इलाज बंद हड़ताल क्यों करते हैं, आमरण अनशन क्यों नहीं करते: जनता के सवाल - MP NEWS

जबलपुर।
पिछले 11 साल में 25 बार इलाज बंद हड़ताल कर चुके जूनियर डॉक्टरों की कोरोनावायरस संक्रमण संकटकाल में चल रही हड़ताल पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया है कि यदि 24 घंटे के भीतर हड़ताली डॉक्टर काम पर वापस नहीं लौटे तो सरकार को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। हाईकोर्ट ने संकटकाल में डॉक्टरों की हड़ताल को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। 

हाईकोर्ट में पहले से लंबित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया गया। हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान जब डॉक्टरों की सबसे ज्यादा जरूरत है ऐसे नाजुक हालातों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को उचित नहीं ठहराया जा सकता। पिछले 11 साल में जूनियर डॉक्टरों का स्टाइपेंड 17000 रुपए से बढ़ाकर 59000 रुपए किया जा चुका है लेकिन फिर भी जूनियर डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। हड़ताल के दौरान डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं, कोरोनावायरस के और ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज भी बंद कर दिया है। समाज में इस हड़ताल की सर्वत्र निंदा की जा रही है। 

सरकार से लड़ाई में गरीबों का इलाज बंद क्यों 

तूने डॉक्टरों की हड़ताल से सिर्फ उन गरीबों का इलाज बंद हुआ है जो प्राइवेट अस्पतालों की फीस नहीं भर सकते और जिंदगी की तलाश में है सरकारी अस्पताल में आते हैं। सरल सी बात है कि यदि डॉक्टरों की लड़ाई सरकार से है तो वह सरकार द्वारा वित्त पोषित अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का इलाज बंद करके दिखाएं। न्याय के लिए उपवास की परंपरा महात्मा गांधी से लेकर अब तक लगातार चली आ रही है। डॉक्टर इलाज चालू रखते हुए आमरण अनशन क्यों नहीं करते। 

03 जून को सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार


महत्वपूर्ण, मददगार एवं मजेदार जानकारियां

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !