पश्चिमी विक्षोभ से आप क्या समझते है, परिभाषा एवं अर्थ
पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्ण कटिबंधीय आंधी है जो सर्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात बारिश ले आती है। यह बारिश मानसून की बरसात से भिन्न होती है।
वेस्टर्न डिस्टर्बन्स किसे कहते हैं
बाह्य-उष्णकटिबंधीय आंधियां विश्व में सब जगह होती हैं। इनमें नमी सामान्यतः ऊपरी वायुमंडल तक पहुंच जाती है, जबकि उष्ण कटिबंधीय आंधियों में आर्द्रता निचले वायुमंडल में बनी रहती है। भारतीय महाद्वीप में जब ऐसी आंधी हिमालय तक जा पहुंचती है तो नमी कभी-कभी बारिश के रूप में बदल जाती है।
पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति कैसे होती है?
पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति कम दबाव वाले क्षेत्र भूमध्यसागरीय क्षेत्र, यूरोप के अन्य भागों और अटलांटिक महासागर में होती है। क्योंकि यह अशांत हवाएं भारत में पश्चिम दिशा से प्रवेश करती है इसलिए इन्हें पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है।
साइक्लोनिक सर्कुलेशन क्या होता है
जब भी पश्चिमी विक्षोभ गुजरता है तब हवाओं से एक चक्रवात बन जाता है जिसे साइक्लोनिक सर्कुलेशन कहते हैं। यह सर्कुलेशन हवा व नमी का मिश्रण होता है जो आगे जाकर बारिश करने का काम करता है।
पश्चिमी विक्षोभ अब तो भरी गर्मी में आने लगा है
पृथ्वी के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित भूमध्य सागर, अंध महासागर और कैस्पियन सागर से उठने वाला तूफान ज्यादातर ठंड के मौसम में भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाके तक आता था और बर्फबारी करता था। भारतीय महाद्वीप के उत्तरी इलाके में अब भारत के अलावा पाकिस्तान का कुछ हिस्सा और नेपाल भी आते हैं। बादलों को पता नहीं है कि बटवारा हो गया है इसलिए वह सभी जगह बरस जाते हैं। अजीब बात यह है कि अब यह बादल गर्मी के मौसम में भी आ रहे हैं और उत्तरी इलाके से आगे बढ़कर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान यहां तक की मध्यप्रदेश में भी बरस रहे हैं।
पश्चिमी विक्षोभ के बारे में याद रखने वाली बातें
पश्चिमी विक्षोभ भारत के पश्चिम दिशा से आता है।
पश्चिमी विक्षोभ भारत के पश्चिम में स्थित देशों के समुद्रों में बनता है।
पश्चिम की दूसरी चीजों की तरह विक्षोभ भी गलत वक्त पर आता है।
इतिहास में दर्ज पश्चिमी सत्ताओं की तरह यह भी भारत के नागरिकों को परेशान करता है।