MP SCHOOL SHIKSHA - महिला शिक्षक को 7 साल जेल की सजा, खरगोन मध्य प्रदेश का मामला

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मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत स्कूल शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने वाली एक महिला शिक्षिका को अदालत ने कड़ी सजा सुनाई है। रुकमणी उर्फ बेबी, पत्नी विक्रम सिंह चौहान, निवासी बड़वाह, को प्रथम अपर सत्र न्यायालय, बड़वाह ने 7 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा दी है। 

अंजू की मार्कशीट में अपना जाति प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली थी

आरोपी महिला ने असली अंजू बाला, पिता मनगलाल राठौर, की 10वीं और 12वीं की Marksheet तथा स्वयं का फर्जी Caste Certificate लगाकर शासकीय प्राथमिक विद्यालय क्रमांक 6, बड़वाह में नौकरी हासिल की थी। इस Fraud का खुलासा वर्ष 2017 में RTI कार्यकर्ता प्रेमलाल गुर्जर ने किया था। उन्होंने शिक्षा विभाग से प्राप्त दस्तावेजों को असली अंजू बाला से मिलवाया, तो पता चला कि उनकी Marksheet की छाया प्रति का दुरुपयोग किया गया था। इसके बाद, अंजू बाला ने शिक्षा विभाग और बड़वाह थाने में शिकायत दर्ज कराई। 

महिला शिक्षक के पति भी इस साजिश में शामिल थे

पुलिस जांच में रुकमणी उर्फ बेबी और उसके पति विक्रम सिंह पर आरोप सिद्ध हुए। प्रकरण में बड़वाह थाने द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में चालान पेश किया गया। 26 जून 2025 को न्यायालय ने रुकमणी को धारा 420 और 468 में 7-7 साल, धारा 419 में 3 साल, और धारा 471 में 2 साल सश्रम कारावास तथा ₹8000 के जुर्माने की सजा सुनाई। इस मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक चंपालाल मुजाल्दे ने की।

लीगल एडवाइस 

सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए दस्तावेजों की कोर्ट रचना करना अथवा किसी भी प्रकार का फर्जी वादा करना एक गंभीर अपराध है। ऐसे अपराधियों के लिए आईपीसी की धारा 419, 420, 468 और 471 के तहत सजा का प्रावधान है। भारतीय न्याय संहिता में भी अपराध की परिभाषा और सजा को समान रूप से रखा गया है। केवल धाराओं की संख्या में परिवर्तन हुआ है। इसलिए हमेशा सावधान रहें और कभी भी इस प्रकार के भ्रम का शिकार न होगी कभी किसी को पता नहीं चलेगा। 

Legal Advice on Document Forgery for Government Jobs

Creating forged documents or making any kind of false promise to secure a government job is a serious offense. Such acts are punishable under Sections 419, 420, 468, and 471 of the Indian Penal Code (IPC). The definitions of these crimes and their corresponding punishments remain the same in the Bhartiya Nyaya Sanhita (BNS); only the section numbers have changed. Therefore, always be cautious and never fall prey to the misconception that such actions will go undetected. 

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