शादी में साली जूता क्यों चुराती है, पगड़ी या कटार क्यों नहीं - GK IN HINDI

भारत के हिंदू संप्रदाय में विवाह आयोजन के दौरान कई प्रकार की रस्मो का प्रदर्शन किया जाता है। कुछ रस्में आस्था और विश्वास से संबंधित होती हैं और कुछ सामाजिक ताने-बाने को दुरुस्त करने के लिए। ऐसी ही एक रस्म होती है जब दुल्हन की बहन द्वारा दूल्हे के जूते चोरी कर लिए जाते हैं। सवाल यह है कि यह परंपरा क्यों बनाई गई। जूते ही क्यों, दूल्हे की पगड़ी अथवा कटार की चोरी भी तो की जा सकती थी। आइए समझने की कोशिश करते हैं:-

भारत में विवाह उत्सव की परंपरा कब शुरू हुई 

यह तो सभी जानते हैं कि पहले विवाह संस्कार का आयोजन वैदिक रीति से किया जाता था। इसमें यज्ञ वेदी सबसे महत्वपूर्ण होती है। किसी भी प्रकार का आडंबर नहीं होता लेकिन वर्तमान में विवाह के वैदिक संस्कार से ज्यादा उत्सव पर ध्यान दिया जाता है। कहा जाता है, भारत में श्वेतकेतु ने सर्वप्रथम विवाह की मर्यादा स्थापित की। भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह के लिए भव्य बारात का आयोजन किया था। सतयुग की सबसे भव्य बारात भगवान श्री राम एवं माता सीता के विवाह के अवसर पर आयोजित की गई थी। समय के साथ साथ सभी समाजों के ऋषियों ने विवाह उत्सव को सामाजिक संबंधों को प्रगाढ़ करने का अवसर बनाने के लिए कुछ परंपराएं शुरू की। जिन्हें आज भी निभाया जाता है। 

अब समझिए साली जूता क्यों चुराती है, पगड़ी या कटार क्यों नहीं 

बात उन दिनों की है जब विवाह के लिए बारात लेकर जाना काफी जोखिम भरा काम हुआ करता था। इसीलिए आत्मरक्षा हेतु दूल्हे को तलवार दी जाती थी। घोड़ी पर दूल्हा और शेष बाराती पैदल यात्रा करते थे। तलवार या कटार किसी भी पुरुष के शौर्य का प्रतीक होती है। उसकी चोरी पुरुष की लापरवाही को प्रमाणित करती है। इसलिए कटार की चोरी करवा कर दूल्हे को लापरवाह प्रमाणित नहीं किया जा सकता था।

पगड़ी का महत्व समझाने की जरूरत नहीं है। पगड़ी किसी भी पुरुष के मान, सम्मान और अभिमान का प्रतीक होती थी। सिर पर धारण की जाने वाली पगड़ी उसकी शक्ति और सामर्थ्य की पहचान बन गई थी। इसलिए पगड़ी की चोरी असंभव है। किसी भी पुरुष के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीसरी वस्तु उसकी पादुका होती हैं। जूते या पादुका मनुष्य के आचरण और व्यवहार को प्रदर्शित करते हैं परंतु सुरक्षा और सम्मान के प्रतीक नहीं होते। इसलिए जूते चुराए जाते हैं। ताकि अपमान ना हो और रिश्तो में मिठास भी आ जाए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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