लो हो गई गड़बड़, MP में मेडिकल स्टूडेंट्स का स्टाइपेंड सरकारी डॉक्टरों के वेतन से ज्यादा - NEWS TODAY

भोपाल
। सरकार जब स्टडी एंड रिसर्च के बिना डिसीजन लेती है और डिसीजन के इंपैक्ट पर विचार नहीं करती तब ऐसा ही होता है। मेडिकल स्टूडेंट्स यानी जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल के दबाव में सरकार ने उनका स्टाइपेंड तो बढ़ा दिया परंतु छात्रों की शिष्यवृत्ती मध्यप्रदेश में नियमित सरकारी डॉक्टरों के वेतन से ज्यादा हो गई है। 

मध्यप्रदेश में सरकारी डॉक्टर की सैलरी से ज्यादा मेडिकल स्टूडेंट को मानदेय दिया जाएगा

शिवराज सिंह सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग की तरफ से सोमवार को जारी एक आदेश के अनुसार जूनियर डॉक्टरों का मानदेय प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के लिए क्रमशः 55000, 57000 और 59000 से बढ़ाकर 65000, 67000 और 69000 कर दिया गया है। अनिवार्य ग्रामीण सेवा बांड के तहत इन्हीं डॉक्टरों को एक साल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय जगह पर नौकरी के लिए जाना होता है। नौकरी के दौरान पीजी डिप्लोमा वाले चिकित्सक को 57000 और पीजी डिग्री वाले डॉक्टर को 59000 रुपए मिलते हैं।

स्टाइपेंड निर्धारण के नियम 

प्राइवेट सेक्टर में फ्रेशर्स को, एक्सपीरियंस एम्पलाई से आधा वेतन दिया जाता है। कुछ कंपनियां तो केवल परिवहन एवं जीवन यापन के लिए जरूरी गुजारा भत्ता देती है। यदि सरकारी संस्थाओं की बात करें तो स्टाइपेंड की राशि निर्धारित वेतन के 70% से अधिक नहीं हो सकती। यदि कोई सरकारी कर्मचारी अध्ययन अवकाश पर जाता है तब भी उसे विशेष परिस्थितियों में वेतन का 90% से ज्यादा स्टाइपेंड नहीं दिया जाता।

08 जून को सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार


महत्वपूर्ण, मददगार एवं मजेदार जानकारियां

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !