JABALPUR मेडिकल यूनिवर्सिटी- बिना परीक्षा कई छात्र पास, आंसर शीट में कुछ नहीं लिखा फिर भी मार्कशीट में अच्छे नंबर - MP NEWS

जबलपुर
। मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी में व्यापम जैसा घोटाला सामने आया है। पहली जांच डेंटल एवं नर्सिंग कोर्स की की गई। खुलासा हुआ है कि जो स्टूडेंट्स परीक्षा में शामिल नहीं हुए उन्हें भी पास कर दिया गया। कई स्टूडेंट्स के नंबर बदले गए। रिश्वत लेकर नंबर बढ़ाने का खेल भी सामने आया है। कुल मिलाकर परीक्षा का कोई औचित्य ही नहीं था। विद्यार्थियों से पैसे लेकर उन की मार्कशीट तैयार की गई। इस पूरे खेल में परीक्षा कराने वाली सर्विस प्रोवाइडर कंपनी माइंडलॉजिक्स, प्रभारी परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर वृंदा सक्सेना, गोपनीय शाखा का एक क्लर्क और एक आउटसोर्स कर्मचारी की भूमिका बताई गई है। यह जांच चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग के निर्देश पर की गई थी। जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है।

मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षा नियंत्रक एवं क्लर्क की भूमिका संदिग्ध

उल्लेखनीय है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर के स्टूडेंट्स की शिकायत पर जात समिति का गठन किया गया था। इन्वेस्टिगेशन के दौरान पाया गया कि कुछ स्टूडेंट्स को रिजल्ट घोषित होने से पहले ही अपने परीक्षा परिणाम की जानकारी मिल जाती थी। गोपनीय विभाग का एक क्लर्क सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से ई-मेल पर परीक्षा परिणाम मंगवाता था। अवकाश पर होने के बाद भी ठेका कंपनी को परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना ने छात्रों के नंबर ई-मेल से भेजे। जांच समिति ने पाया कि प्रभार पर न होते हुए भी उन्होंने ई-मेल करके निजी कॉलेजों के साथ मिलकर परीक्षा परिणाम घोषित किए।

माइंडलॉजिक्स के खिलाफ अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन का आरोप 

एमयू और ठेका कंपनी माइंडलॉजिक्स के बीच अनुबंध के मुताबिक अंकों का आदान-प्रदान डाटा एक्सचेंज इंटरफेस के माध्यम से होना चाहिए था। ताकि यह हमेशा रिकॉर्ड में रहे और वरिष्ठ अधिकारी निगरानी कर सकें, इसे सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है। इसमें अंकों और डाटा में किसी प्रकार छेड़छाड़ होने की जानकारी विवि के पास रहती है। शर्तों के विपरीत निजी कंपनी ने ई-मेल पर परीक्षा संबंधी गोपनीय जानकारी दी। इसके कारण छात्रों के परीक्षा परिणाम और अंकसूची देने में देरी और गड़बड़ी हुई। समिति ने जांच रिपोर्ट में ई-मेल के उपयोग को छात्रों के परीक्षा परिणाम में सेंध लगाने जैसी बात कही है।

रिपोर्ट में इन बिंदुओं पर धांधली की आशंका

जांच के दौरान सरकारी कार्य पर भोपाल जाने का आदेश परीक्षा नियंत्रक ने समिति के समाने पेश नहीं किया।
कॉलेजों के साथ साठगांठ कर अंकाें में फेरबदल की मौखिक शिकायत समिति को मिली है।
परीक्षा परिणाम जारी होने से पहले ही एक कर्मचारी के पास रिजल्ट का ब्यौरा आने से गोपनीयता भंग हुई।
कर्मचारी के खिलाफ एक पेमेंट ऐप पर छात्रों से रुपए मांगने की मौखिक शिकायत समिति को मिली।
परीक्षा विभाग के एक आउटसोर्स कर्मचारी के खाते में ई-वॉलेट के माध्यम से पैसे भेजे जाने की शिकायत मिली। 

CORONA के कारण हुआ घोटाले का खुलासा

अप्रैल में कोरोना संक्रमित होने के कारण प्रभारी परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना अवकाश पर थीं। तब अन्य अधिकारी को परीक्षा नियंत्रक का प्रभार सौंपा गया, लेकिन अवकाश पर रहते हुए परीक्षा नियंत्रक ने डेंटल और नर्सिंग पाठ्क्रम के प्रेक्टिकल परीक्षा के अंकों में बदलाव के लिए माइंडलॉजिक्स कंपनी को ई-मेल किया। यही नंबर कंपनी के असिस्टेंट मैनेजर सुधीर शर्मा ने पोर्टल में अंक दर्ज किए। अंकों में परिवर्तन से पूर्व कंपनी ने न तो तत्कालीन प्रभारी परीक्षा नियंत्रक और न ही कुलपति से अनुमोदन प्राप्त किया। इसी शिकायत पर कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने जांच की तो निजी कंपनी की परीक्षा परिणाम की प्रक्रिया में कई गड़बड़ी उजागर हुई।

इन्वेस्टिगेशन टीम आई तो परीक्षा नियंत्रक भोपाल चली गई

इस मामले में गठित जांच समिति ने माइंडलॉजिक्स कंपनी के सिस्टम की जांच के लिए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से 3 आईटी विशेषज्ञ बुलवाए। इन विशेषज्ञों को जांच में सहयोग के लिए परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना को निर्देश दिए गए, लेकिन वे सरकारी कार्य का हवाला देकर भोपाल चली गईं। जांच समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि नियंत्रक ने आईटी विशेषज्ञों को कंपनी से आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई और न ही अपना प्रभार किसी को सौंपा।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दिए थे जांच के निर्देश

छात्रनेता अंशुल सिंह, शुभम, संदेश, हीरेंद्र सहित अन्य ने पिछले दिनों चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिलकर व्यापमं की तर्ज पर परीक्षा घोटाला का आरोप लगाया था। आरोपों में कहा गया कि जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से परीक्षा को लेकर अनुबंधित कंपनी माइंडलॉजिक्स कंपनी ने पास-फेल का खेल रचा है। आश्चर्यजनक तरीके से उपस्थित छात्र फेल और अनुपस्थित पास हो गए। मार्क्स एंट्री पोर्टल में नंबर में भी फेरबदल किया गया। इस पर मंत्री सारंग ने दो जून को जांच के निर्देश दिए थे। मामले में विवि के कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता, वित्त नियंत्रक आरएस डेकाटे और लेखाधिकारी राकेश चौधरी के साथ भोपाल से तीन तकनीकी विशेषज्ञों को जांच समिति में नामित किया गया था।

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