ग्वालियर। सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं का आलम आम नागरिक को तो पता ही है लेकिन आज सुबह कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को भी पता चल गया। वह अचानक जयारोग्य अस्पताल में एक आम मरीज की तरह पहुंच गए। सबसे पहले उन्हें ओपीडी में इंतजार करना पड़ा। कोविड-19 वार्ड में डॉक्टर नहीं मिला और इमरजेंसी में स्ट्रेचर नहीं मिला। कुल मिलाकर अस्पताल में मरीज के लिए परेशानियों और दर्द के अलावा कुछ नहीं मिला।
JAH GWALIOR- कैजुअल्टी में स्ट्रक्चर नहीं, बाहर एंबुलेंस नहीं, वार्ड में डॉक्टर नहीं
मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भोपाल एक्सप्रेस से शुक्रवार तड़के 4 बजे भोपाल से ग्वालियर पहुंचे थे। ग्वालियर स्टेशन पर उतरने के साथ ही वह सीधे घर न जाते हुए JAH (जयारोग्य अस्पताल) जा पहुंचे। यहां उन्होंने JAH के OPD, सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। OPD में उन्हें डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा। ऊर्जा मंत्री ने PPE किट पहनकर कोविड वार्ड का निरीक्षण किया। तो पता लगा जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी वह गायब था।
ऊर्जा मंत्री तोमर कैजुअल्टी और ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। कैजुल्टी में स्टाफ अलर्ट मिला। मंत्री तोमर ने पूछा कि मान लो मेरी हालत सीरियस है यहां से मुझे सुपर स्पेशियलिटी में भर्ती कराना है। तो कैसे भेजोगे, स्ट्रेचर कहां है? कैजुअल्टी में स्ट्रेचर नहीं थी। बाहर एंबुलेंस खड़ी होने की बात कही, लेकिन वह भी नहीं थी।
कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर काफी नाराज हुए। उन्होंने कमिश्नर से जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा लेकिन सब जानते हैं कि मध्य प्रदेश में डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। यदि कार्रवाई करने की कोशिश की गई तो डॉक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं। सरकार को हर बार झुकना पड़ता है।
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