मध्यप्रदेश में 5 लाख से अधिक Permanent सरकारी अफसर और कर्मचारी हैं, जिनमें से लगभग 3 लाख के समग्र आईडी डेटा में गलतियां सामने आई हैं। इन गलतियों के कारण कर्मचारियों को डेटा लिंकिंग में परेशानी हो रही है, जिससे उनकी सैलरी रुकने का खतरा मंडरा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो उनका रक्षाबंधन का त्यौहार खराब हो जाएगा।
कर्मचारियों को लगातार चेतावनी दी जा रही है
मध्यप्रदेश में सभी सरकारी कर्मचारियों की सर्विस बुक को Aadhaar और समग्र आईडी से लिंक करना अनिवार्य है। यह नियम प्रदेश के सभी IAS, IPS, IFS अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू होगा। बिना लिंकिंग के मासिक वेतन का भुगतान नहीं होगा। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह नियम कब से लागू होगा। लेकिन कहा जा रहा है कि जिन कर्मचारियों की सर्विस बुक अभी तक आधार और समग्र आईडी से लिंक नहीं हुई है, उन्हें हर महीने सैलरी प्राप्त करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
कर्मचारियों की सबसे बड़ी समस्या
कई सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की समग्र आईडी में नाम और जन्मतिथि जैसी गलतियां हैं। इन गलतियों को सुधारने के लिए कर्मचारियों को MPOnline कियोस्क से लेकर वार्ड कार्यालय तक दौड़ना पड़ रहा है, जिससे समय और ऊर्जा की बर्बादी हो रही है।
वित्त विभाग का आदेश
वित्त विभाग ने सभी कलेक्टर, कमिश्नर और विभाग प्रमुखों को निर्देश जारी किए हैं कि कर्मचारियों की प्रोफाइल को IFMIS सिस्टम में समग्र आईडी से सत्यापित करना अनिवार्य है। यह नई व्यवस्था कर्मचारियों की पहचान और उपस्थिति की पुष्टि को आसान बनाने के लिए लागू की गई है।
क्यों हो रहा विरोध?
सरकार ने समग्र आईडी की अनिवार्यता का स्पष्ट कारण नहीं बताया है, जिसके चलते कुछ कर्मचारी संगठनों में विरोध के स्वर उठ रहे हैं। कर्मचारियों का मानना है कि यह प्रक्रिया अनावश्यक रूप से जटिल है।
अस्थायी कर्मचारियों पर भी लागू होगा नियम
यह व्यवस्था जल्द ही संविदा, दैनिक वेतनभोगी और मानदेय कर्मचारियों पर भी लागू होगी। इससे प्रभावित कर्मचारियों की संख्या बढ़कर दस सात लाख तक पहुंच सकती है।
जरूरी दस्तावेज और लिंकिंग प्रक्रिया
- समग्र पोर्टल पर नाम, जन्मतिथि जैसी जानकारी सही होनी चाहिए।
- समग्र आईडी को आधार से लिंक करना अनिवार्य है।
- IFMIS पोर्टल पर Employee Self Service में लॉगिन कर समग्र आईडी अपडेट करें।
- जिस बैंक खाते में सैलरी आती है, उसे आधार से लिंक करना आवश्यक है।
मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम कर्मचारियों की पहचान को डिजिटल रूप से सत्यापित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, लेकिन डेटा सुधार और लिंकिंग की प्रक्रिया में आ रही दिक्कतें कर्मचारियों के लिए चुनौती बनी हुई हैं।