भोपाल। सरकार ने नियम बना दिया कि असामान्य मृत्यु भर पोस्टमार्टम होना जरूरी है परंतु यह नियम नहीं बनाया कि यदि पुलिस अधिकारी पोस्टमार्टम के लिए शव को अपने साथ ना ले जाए तो क्या करें। मध्य प्रदेश के सिंगरौली में 16 साल की एक लड़की ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने आदेश दिया कि लड़की के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल लेकर आओ। असहाय पिता को बेटी का शव उल्टे खाट पर बांधकर 35 किलोमीटर पैदल जाना और वापस आना पड़ा।
सिंगरौली जिले के आदिवासी अंचल सरई क्षेत्र के गड़ई गांव निवासी धिरूपति की 16 वर्षीय नाबालिग बेटी ने 5 मई की रात को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसकी सूचना 6 मई को सरई थाना सहित निवास चौकी को दी गई। निवास पुलिस चौकी से अधिकारी आए और विवेचना के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल लाने के लिए कहा और चले गए। पिता ने एंबुलेंस की तलाश की लेकिन कोरोनावायरस के मरीजों से पैसे कमा रही कोई भी एंबुलेंस पोस्टमार्टम के लिए शव को ले जाने तैयार नहीं हुई।
हार कर पिता ने बेटी के शव को उल्टे खाट पर रखा, खाट के चारों पावों में रस्सी बांधकर एक बल्ली के सहारे उसे उठाकर परिवार के एक सदस्य के सहयोग से 35 किलोमीटर तक पैदल चलकर अस्पताल पहुंचे और पोस्टमार्टम कराने के बाद इसी तरह वापस आए। यहां बताना जरूरी है कि शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल तक लाना और वापस परिवार को सौंपना पुलिस की जिम्मेदारी है। इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को एंबुलेंस आदि के खर्चे के लिए बजट मिलता है।
सिंगरौली में खाट पर सुशासन! पीड़ित पिता बिटिया के शव को पोस्टमॉर्टम के लिये 35 किमी. खाट पर ले जाने को मजबूर परिवार का आरोप ना पुलिस ने किया सहयोग, ना मिला शववाहन @GargiRawat @manishndtv @ndtv @ndtvindia @ManMundra @sushant_says pic.twitter.com/IJ9LiXDfpB
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 9, 2021