अजय विश्नोई के तीखे तेवर: जबलपुर कलेक्टर मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं - MP NEWS

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जबलपुर।
मध्य प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक अजय विश्नोई के तीखे तेवर लगातार बने हुए हैं। उनका दावा है कि जबलपुर कलेक्टर मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं। कोरोनावायरस के मामले में जबलपुर की जमीनी हकीकत मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंचाई जा रही। यही कारण है कि क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में मुझे आवाज उठानी पड़ी। अजय विश्नोई दैनिक भास्कर के पत्रकार श्री संतोष सिंह से बात कर रहे थे। उन्होंने कई प्रश्नों के जवाब दिए। 

यदि हर रोज सिर्फ 2-3 मौतें हो रही है तो श्मशान घाट में 14 से ज्यादा अंतिम संस्कार कैसे

श्री अजय विश्नोई ने बताया कि कोरोना संक्रमितों की संख्या, मौत व इलाज के आंकड़ों पर बात हो रही थी। आंकड़ों में कमतर बातें बताई जा रही थी। इसी पर मैंने कहा कि सुलेमान जी (स्वास्थ्य विभाग के ACS), ये जो आंकड़े आप बता रहे हैं तो फिर कोई परेशानी की बात ही नहीं है। फिर जनता परेशान क्यों है? अस्पतालों में बेड क्यों नहीं मिल पा रहे हैं? दवा क्यों नहीं मिल रही है? ऑक्सीजन की व्यवस्थाएं क्यों नहीं हो रही? सच्चाई! इसलिए जान लीजिए। मौतें अखबार में छापते हैं एक, दो, तीन चार। जबकि जबलपुर के चौहानी श्मशान में ही रोज 14 से 20 मौतें हो रही हैं। ये आंकड़े क्यों छुपाए जा रहे हैं। सच्चाई से जनता सचेत होगी। बस, यही बताया।

हमारा काम है हम जमीनी हकीकत से अवगत कराएं: विधायक अजय विश्नोई

जनप्रतिनिधि होने के नाते जिला क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में गया था। हम वहां बैठते हैं तो हमारा काम सिर्फ सुनना ही नहीं होता है। जब वर्चुअल मीटिंग हो रही है। वे वहां से बैठकर स्थिति बता रहे हैं और हमारा काम है कि हम यहां की हकीकत से अवगत कराएं। जबलपुर की जो स्थिति है, उसे मैंने सामने रखा।

यदि हम मौतें कम बताएंगे, तो किसका भला होगा: पूर्व मंत्री अजय विश्नोई

हां। यह जिला प्रशासन की हठधर्मिता है, मैं तो इसी बात को कह रहा हूं। ये प्रदेश सरकार का काम है। जिला प्रशासन जनता को अंधेरे में क्यों रख रहा है? और जनता को अंधेरे में रखने से क्या फायदा है? यदि हम मौतें कम बताएंगे, तो किसका भला होगा? इस बात का जवाब कोई तो दे, जिला प्रशासन दे या सरकार। गलत अजय विश्नोई बोल रहा है, गलत प्रेस बोल रही है, गलत श्मशान घाट के आंकड़े बोल रहे हैं या गलत प्रशासन के।

सोशल मीडिया से ज्यादा सीएम के सामने बोलता हूं: भाजपा नेता अजय विश्नोई

क्षमा करें! आपको लगता होगा कि सोशल मीडिया पर ही बात रखता हूं। आमने-सामने बैठता हूं तो CM को इससे कई गुना ज्यादा बोलता हूं। लगातार CM को विभिन्न विषयों पर चौकन्ना करता हूं। चिट्‌ठी और फोन पर भी।

सरकार से नहीं कुछ गतिविधियों से नाराजगी है: अजय विश्नोई

सरकार को लेकर नाराजगी नहीं हो सकती है। सरकार के कुछ कामों और गतिविधियों को लेकर नाराजगी होती है। जब भी लगता है, अपनी नाराजगी छुपाता नहीं। सामने लेकर आता हूं। मुख्यमंत्री से एक भी बात नहीं छिपाता हूं, जबकि प्रेस से छुपाता हूं।

जब तक अजय विश्नोई है, महाकौशल की आवाज उठती रहेगी

उसकी चिंता मत करिए। जब तक अजय विश्नोई है, महाकौशल की आवाज उठती रहेगी। प्रतिनिधित्व नहीं मिला, यह बात सच है। उसका नुकसान भी है। बहुत सी चीजों का नुकसान है। बहुत से आंकड़े हैं। पता करा लीजिए कि आज की तारीख में इंदौर, भोपाल व जबलपुर में कितने मरीज हैं। सरकारी आंकड़ों को ही ले लीजिए। फिर ये देख लीजिए कि इंदौर व भोपाल में कितने रेमडेसिविर इंजेक्शन की व्यवस्था हुई। और जबलपुर को कितना मिला? यही नुकसान होता है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने चाहिए: विधायक अजय विश्नोई जी

रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता का सवाल है तो सरकार कोशिश कर रही है। खरीद तब पाएगी जब बाजार में उपलब्ध रहेगा। 80 हजार या एक लाख इंजेक्शन खरीद भी लेंगे, तो इतने से MP के मरीजों की थोड़ी सी ही मदद होगी, पूरी नहीं। कालाबाजारी रोकना चाहिए।

जबलपुर जिला प्रशासन मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहा है

मैं नहीं समझ सकता हूं कि छिपाने के पीछे कोई उद्देश्य होना चाहिए। कुल मिलाकर प्रशासन उनको (CM को) गुमराह कर रहा है। इसलिए मेरा काम, हमारे मुख्यमंत्री को सचेत करना था कि आप सच्चाई को जानिए और सच्चाई के जो आंकड़े हैं, उसके हिसाब से अपनी गतिविधियों को तय कीजिए।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते कुछ नहीं कर सकता: अजय विश्नोई

स्वास्थ्य मंत्री का जो मेरा अनुभव है, वह बहुत पुराना है। तब की और आज की परिस्थितियों में फर्क है। उस अनुभव के लाइन पर आज की तारीख में कोई कमेंट नहीं कर सकता। पर स्वास्थ्य मंत्री होने या नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। नेतृत्व को भौतिक धरातल की परिस्थितियों को देखकर तात्कालिक निर्णय लेने पड़ते हैं। जनप्रतिनिधि होने के साथ एक अस्पताल भी चला रहा हूं। इस कारण मुझे मालूम है कि परेशानियां क्या आ रही है? मरीजों को क्या परेशानी हो रही है।

नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने क्यों गए थे, अजय विश्नोई ने बताया

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी है, जिसके कारण मरीज परेशान हैं। शुक्रवार को नरेंद्र तोमर जी से मैं एयरपोर्ट पर जाकर मिला था। अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार से बात कीजिए और रेमडेसिविर के निर्यात पर रोक लगा दीजिए। खुशी की बात है कि निर्यात पर रोक लगा दी गई। रेमडेसिविर इंजेक्शन की समस्या चार-पांच दिनों में दूर हो जाएगी।

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