BHOPAL कलेक्टर अपने ऑफिस को ऑनलाइन करने तैयार नहीं, 2 कलेक्टर टाल गए, तीसरे....

भोपाल
। नोटबंदी से लेकर लॉकडाउन तक लगभग पूरा भारत ऑनलाइन हो गया। कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम में उत्साह पूर्वक भाग लिया तो कुछ लोगों के लिए ऑनलाइन हो जाना उनकी मजबूरी हो गई लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कलेक्टर अपने ऑफिस को ऑनलाइन करने के लिए तैयार नहीं है। भोपाल का कलेक्टर कार्यालय आज भी 1947 वाले ढर्रे पर चलता है। 

नोटशीट लिखना, बाबुओं का अफसरों के कैबिन में जाकर फाइलें साइन कराने का काम अब भी जारी है। यह सब इसलिए, क्योंकि ई- ऑफिस के तहत सभी फाइलें अब तक ऑनलाइन नहीं की गई है जबकि जनवरी 2020 में ई-ऑफिस प्रणाली शुरू हो जानी थी, लेकिन 50% फाइलों को ऑनलाइन करके काम अटका दिया गया है। 

2018 से लेकर अब तक भोपाल के कलेक्टर कार्यालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 3 अफसर बदल चुके हैं परंतु तीनों में से एक ने भी कलेक्टर ऑफिस को ई-ऑफिस नहीं बनाया। कलेक्टर ऑफिस के क्लर्क बताते हैं कि कुछ फाइलें इतनी जर्जर स्थिति में हैं कि उन्हें स्कैन कर ऑनलाइन करने की जहमत कोई उठाना नहीं चाहता है। इतना ही नहीं NIC भोपाल को ई-फाइलिंग सिस्टम का नोडल अधिकारी बनाया गया था। वे अब तक यह भी तय नहीं कर पाए हैं कि फाइल का मूवमेंट आखिर कैसे होगा। 

बता दें कि इस सिस्टम के शुरू हो जाने के बाद कलेक्ट्रेट सहित जिला कार्यालयों के विभागाध्यक्ष अपने घर या अन्य स्थान से भी काम कर सकेंगे। इससे समय, कागज और मानवश्रम बचेगा।

अधिकारियों को जवाबदेह बनाया लेकिन प्रोजेक्ट की डेडलाइन नहीं

इधर, ई-ऑफिस प्रणाली के लिए हर कार्यालय को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। दूसरे दिन टेस्ट के साथ आगे की प्रशिक्षण प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अलग-अलग विभागों के कार्यालयों के लिए यह प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे। जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी इसके लिए मास्टर ट्रेनर्स नियुक्त करेंगे। इससे फाइलों के गुमने की संभावना खत्म हो जाएगी। वहीं, अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी।

जिस अधिकारी के पास फाइल अटक जाएगी, उस पर जुर्माना लगाया जाएगा: कलेक्टर

अब ई-फाइलिंग सिस्टम को आम जनता की सहूलियत को ध्यान में रखकर तेजी से काम किया जाएगा। जल्द ही इससे लोगों को फायदा होगा। वे घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे और इसका निराकरण भी ऑनलाइन ही हो जाएगा। इस तरह की व्यवस्था बनाई जा रही है। फाइल जिस अधिकारी के पास लंबित होगी उस पर जुर्माने की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
-अविनाश लवानिया, कलेक्टर, भोपाल

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