Institute for Bioengineering of Catalonia (IBEC) के रिसचर्स की टीम ने वह कर दिखाया है जो आज से पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने गर्भाशय के अंदर मानव भ्रूण के प्रत्यारोपण का पहला दृश्य सफलतापूर्वक कैप्चर कर लिया है। यह एक 3D दृश्य है। Dexeus University hospital in Barcelona के सहयोग से यह संभव हुआ है। इसके कारण दुनिया भर की महिलाओं की सबसे बड़ी प्रॉब्लम Infertility और Abortion को सॉल्व किया जा सकेगा। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन इस समाचार का प्रसारित किया जाना एक शुभ संयोग है। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी बड़े संघर्ष के बाद हुआ था।
गर्भधारण की प्रक्रिया: महिलाओं को जानना जरूरी है
रिसर्च टीम का नेतृत्व कर रहे Samuel Ojosnegros, the principal investigator of the IBEC’s bioengineering for reproductive health group का कहना है कि, दुनिया की विभिन्न श्रेणियां के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसके कारण पहले ही दिन गर्भधारण की प्रक्रिया का विस्तार से पता चल जाता है। उन्होंने बताया कि गर्भाशय में मानव भ्रूण का प्रत्यारोपण इतनी रोचक प्रक्रिया होगी, हमने कभी सोचा नहीं था। मानव भ्रूण गर्भाशय में घुसते समय काफी बल प्रयोग करते हैं। जीवन के प्रारंभ के लिए यह संघर्ष आवश्यक है। Embryo implantation की प्रक्रिया 6 से 12 दिन बाद प्रारंभ होती है।
रिसर्च रिपोर्ट: मानव जीवन प्राप्त करने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है
रिसचर्स ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म विकसित किया है जो Embryo को नियंत्रित परिस्थितियों में गर्भाशय के बाहर प्रत्यापित कर सकता है। इस रिसर्च के दौरान उन्होंने यह भी पाया कि मानव और चूहा के भ्रूण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में काफी अंतर होता है। चूहे का भ्रूण गर्भाशय की सतह से चिपका रहता है जबकि मानव भ्रूण गर्भाशय के ऊतकों में पूरी तरह से प्रवेश कर जाता है। अध्ययन में पाया गया कि आरोपण की प्रक्रिया के दौरान मानव भ्रूण ने ऐसे एंजाइम छोड़ें जो आसपास के ऊतकों को तोड़ते हैं। मानव भ्रूण अपना वातावरण बनाने के लिए Exerted Traction का प्रयोग करता है।
Infertility की समस्या का समाधान
महिलाओं में Infertility का सबसे बड़ा कारण Implantation Process होती है। यही प्रक्रिया लगभग 60% गर्भपात के लिए जिम्मेदार होती है। अब तक मानव को पता ही नहीं था कि यह प्रक्रिया किस प्रकार होती है। आज पहली बार जब मेडिकल साइंस को इसके बारे में पता चल रहा है तो उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में हम इस समस्या का उचित समाधान ढूंढ लेंगे, और इसके कारण महिलाओं की सबसे बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी।