अब तक आपने पढ़ा कि यदि कोई अपराधी जुर्माना देने से इंकार कर दे तो उसकी चल अचल संपत्ति को कुर्क करके जुर्माना की वसूली की जाती है। यदि उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और उसके पास जुर्माना मूल्य के बराबर संपत्ति नहीं है तब, संबंधित अपराध की एक चौथाई जेल अवधि बढ़ा दी जाती है। अब सवाल यह है कि यदि सजा सुनाने के बाद अपराधी की मृत्यु हो जाए तब जुर्माना की वसूली होगी या नहीं। BNS की धारा 8(7) में इस प्रश्न का उत्तर मिलता है।
Bharatiya nyaya sanhita,2023 की धारा 8 की उपधारा 7 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति 6 वर्ष के भीतर न्यायालय में जुर्माना नहीं भरता है तब न्यायालय को अधिकार है कि वह ऐसे अपराधी से उसकी अचल संपत्ति या चल संपत्ति को कुर्की एवं नीलाम करके जुर्माना की वसूली करें।अगर किसी आरोपी की कारावास में रहते हुए मृत्यु हो जाती है, तब भी न्यायालय द्वारा उसे जुर्माने से मुक्त नहीं किया जाएगा। छः वर्ष हो जाने के बाद न्यायालय ऐसे अपराधी की जो अचल संपत्ति होगी उससे न्यायालय द्वारा लगाए गए जुर्माने को वसूल करेगा।
उपर्युक्त धारा से यह स्पष्ट है कि विधि के अनुसार लगाया गया जुर्माना किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं है। अपराधी को कारावास की सजा में छूट मिल सकती है लेकिन जुर्माना में किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जाती है।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।