मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल की आयुक्त एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी श्रीमती शिल्पा गुप्ता के कारण सागर, सतना, सीधी, कटनी और गुना के जिला शिक्षा अधिकारियों के नाम हाई कोर्ट का नोटिस जारी हुआ है। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग और प्रमुख सचिव, ट्राइबल वेलफेयर मंत्रालय से भी जवाब तलब किया है।
हाई कोर्ट ने डीपीआई कमिश्नर को गलती सुधारने का मौका दिया था
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के कमिश्नर द्वारा प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों में आरक्षण कानूनों की गलत व्याख्या क र नियम विरुद्ध रूप से पदस्थापना आदेशों की संवैधानिकता को हाईकोर्ट जबलपुर में विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई थी। उक्त सभी याचिकाओं को हाईकोर्ट ने दिनांक 23/10/2024 को स्वीकार कर डी.पी.आई. कमिश्नर को स्पष्ट आदेश दिया कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को उनकी प्रथम वरीयता के अनुसार आदेश दिनांक से 20 दिनों के अंदर मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा के अंतर्गत संचालित शालाओं में पदस्थापना दी जाए।
IAS शिल्पा गुप्ता ने हाई कोर्ट के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की
निर्धारित अवधि 30 दिन के अंदर डी.पी.आई. आयुक्त ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा याचिका संख्या WRIT PETITION No. 27949 of 2023, W.P. No. 28139 of 2023, Writ Petition No. 34360 of 2024, W.P. No. 34360 of 2024, और WA/1333/2023 तथा अन्य याचिकाओं में पारित आदेशों पर कोई ध्यान नहीं दिया। तब संबंधित याचिकाकर्ताओं द्वारा शिल्पा गुप्ता के खिलाफ अवमानना याचिकाएं दाखिल की गई। उक्त अवमानना याचिकाओं के नोटिस मिलने के बावजूद भी शिल्पा गुप्ता ने न तो हाईकोर्ट में कोई वकील नियुक्त किया और न ही हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की। तब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा शिल्पा गुप्ता को अवमानना याचिका CONC No. 5375/2024, 5374/2024, 496/2025, 716/2025 में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।
शिल्पा गुप्ता की SLP-C सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई थी
हाईकोर्ट की गिरफ्तारी से बचने के उद्देश्य से डी.पी.आई. कमिश्नर शिल्पा गुप्ता द्वारा आनन-फानन में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंचों के आदेशों के विरुद्ध बिना किसी आधार के शासकीय धन का दुरुपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में SLP(C) Diary No. 13542/2025 दाखिल कर दी गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई पर दिनांक 25/4/2025 को खारिज कर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेशों की पुष्टि कर दी गई।
शिल्पा गुप्ता ने जिला शिक्षा अधिकारियों को उलझा दिया
फिर भी शिल्पा गुप्ता द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपालन प्रस्तुत नहीं किया गया। तब हाईकोर्ट ने दिनांक 18/5/2025 को कड़ी भाषा में अल्टीमेटम दिया कि यदि 18/6/2025 को अनुपालन दाखिल नहीं किया गया तो शिल्पा गुप्ता को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए और अजामनत गिरफ्तारी का आदेश दिया गया। तब शिल्पा गुप्ता ने स्वयं आदेशों का अनुपालन न करके दिनांक 12/6/2025 को संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों (सागर, सीधी, कटनी, गुना आदि) को निर्देशित कर याचिकाकर्ताओं के नए सिरे से नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए। संबंधितों की जनजाति विभाग में दो वर्षों से अधिक की सेवाएं गणना में नहीं ली गईं और वर्तमान में याचिकाकर्ता 90% वेतन पा रहे थे, उन सभी को 70% वेतन पर डी.पी.आई. की शालाओं में नियुक्ति करने का आदेश जारी कर दिया गया।
तुमने मुझे बदनाम किया इसलिए मैंने तुम्हें परेशान किया: शिल्पा गुप्ता
तत्संबंध में याचिकाकर्ताओं ने डी.पी.आई. कमिश्नर शिल्पा गुप्ता को लिखित में आपत्ति की, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि आपके लोगों के कारण मेरी बहुत बदनामी हुई है, इसलिए इस प्रकार का आदेश जारी किया है; आप लोग चाहें तो फिर हाईकोर्ट चले जाएं। तब सीधी निवासी संध्या शुक्ला, कटनी निवासी शुभम उरमलिया, मंडला निवासी आरती सेन, सागर निवासी उमाकांत साहू, राहुल सिंह चड्ढर, सरस्वती कोरी, आकांक्षा बाजपेयी, विदिशा निवासी शिवानी शर्मा द्वारा याचिका संख्या 24466/2025 दाखिल की गई।
उक्त याचिका की प्रारंभिक सुनवाई जस्टिस एम.एस. भट्टी द्वारा की गई और प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, ट्राइबल विभाग, कमिश्नर डी.पी.आई., कमिश्नर ट्राइबल, जिला शिक्षा अधिकारी सागर, कटनी, सीधी, गुना सहित कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और अभिलाषा सिंह लोधी द्वारा की गई।