मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के आंगन में, सीएम मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सीधा संघर्ष शुरू हो गया है। इस फाइट का फैसला दिल्ली में होगा और जल्दी ही पता चल जाएगा की पार्टी में कौन पावरफुल है लेकिन इस लड़ाई का असर मध्य प्रदेश की राजनीति पर गहरा रहेगा और लंबे समय तक दिखाई देगा।
कौन बनेगा महामंत्री: मोहन के प्रभु लाल या ज्योति के प्रभु राम
मामला मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में महामंत्री के पद का है। टोटल चार महामंत्री बनाए जाने हैं। इनमें से तीन फाइनल हो गए हैं। चौथे महामंत्री को लेकर मामला उलझ गया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव चाहते हैं कि प्रभुलाल जाटवा को महामंत्री बनाया जाए जबकि केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने "बेंगलुरु संधि" के तहत इस पद पर अपना दावा प्रस्तुत करते हुए श्री प्रभु राम चौधरी का नाम आगे बढ़ा दिया है। इसके कारण दोनों नेताओं के बीच में टकराव की स्थिति बन गई है। भारतीय जनता पार्टी में इस प्रकार की बातें, बंद कमरे के अंदर और वरिष्ठ नेताओं के बीच में होती है और एक नतीजा बन जाने के बाद पब्लिक को बताई जाती है, लेकिन इस बार बात पहले से ही पब्लिक प्लेटफॉर्म पर आ गई। चर्चा शुरू हो गई है कि दोनों अपने-अपने समर्थक को महामंत्री बनना चाहते हैं। पहले डॉक्टर मोहन यादव अमित शाह से मिले थे और कल सिंधिया भी मुलाकात कर आए हैं।
इस लड़ाई का क्या असर होगा
भले ही इस फीट का फैसला दिल्ली में हो जाए और जो भी महामंत्री बने वह दोनों नेताओं को गुलदस्ता भेंट करते हुए दिखाई दे लेकिन इस लड़ाई का असर मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी पर गहरा और देर तक दिखाई देगा। बात यहां पर खत्म नहीं होगी बल्कि यहां से शुरू होती है। अभी तो निगम मंडलों में नियुक्तियां होना बाकी है और फिर सिंधिया की सबसे शक्तिशाली मंत्री, घोषित रूप से मुख्यमंत्री की टीम के सदस्य हैं और उनकी अधिकारिकता में आते हैं। कोई बड़ी बात नहीं की अगली विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अंदर सिंधिया गुट बिल्कुल वैसा ही दिखाई दे जैसे कांग्रेस पार्टी में दिखाई देता था।
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