भोपाल। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूल शिक्षा को और अधिक समग्र और छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में मध्य प्रदेश में महत्वपूर्ण बदलावों की रूपरेखा तैयार हो रही है। इन परिवर्तनों का उद्देश्य न केवल अकादमिक प्रदर्शन को मजबूत करना है, बल्कि बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास को भी प्रोत्साहित करना। विभागीय स्तर पर अब शैक्षणिक सत्र को 1 मार्च से शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है, साथ ही साल में दो मुख्य परीक्षाओं का आयोजन सुनिश्चित किया जाएगा। हालांकि, इन बदलावों के कार्यान्वयन की अंतिम तिथि पर निर्णय अभी बाकी है।
मध्य प्रदेश के स्कूलों में अगला शिक्षा सत्र 1 महीने पहले शुरू होगा
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में शैक्षणिक सत्र 1 अप्रैल से प्रारंभ होता है, लेकिन अब इसे एक महीने पहले शिफ्ट करने की तैयारी है। "इससे छात्रों को नए सत्र में पर्याप्त समय मिलेगा, और परीक्षाओं का बोझ कम होगा," एक अधिकारी ने कहा। पहले मुख्य परीक्षाएं मार्च-अप्रैल में आयोजित होती थीं, लेकिन अब अधिकांश बोर्ड एग्जाम फरवरी में ही संपन्न करने का लक्ष्य है। इससे मार्च से नया सेशन सुचारू रूप से शुरू हो सकेगा।
मध्य प्रदेश में नौतपा में स्कूल लगेंगे
समर वेकेशन के शेड्यूल में भी समायोजन की योजना है, ताकि शैक्षणिक कैलेंडर अधिक संतुलित बने। अभी ग्रीष्मकालीन अवकाश मई में शुरू होता है और 15 जून तक चलता है, लेकिन अब इसे अप्रैल में स्थानांतरित करने पर विचार हो रहा है। ऐसा करने पर जून में स्कूल शुरू हो जाएंगे। यानी कि जब गर्मी अपने चरम पर होगी तब बच्चों को स्कूल में क्लास अटेंड करना पड़ेगा। मध्य प्रदेश में मानसून के आधार पर शिक्षा सत्र का प्रारंभ निर्धारित किया गया था। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए सुविधाजनक साबित हो सकता है।
लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने जोर दिया कि NEP के अनुरूप दो मुख्य परीक्षाओं की व्यवस्था से शिक्षण प्रक्रिया को गति मिलेगी। "परीक्षाओं की फ्रीक्वेंसी बढ़ने से अध्यापन की तैयारी को मजबूत करना आवश्यक हो गया है। मार्च से सत्र शुरू करने से छात्रों को पूरा वर्ष उपलब्ध होगा," उन्होंने कहा। यह कदम आधुनिक शिक्षा की मांगों को पूरा करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने पहले ही 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए दो परीक्षाओं का ढांचा तैयार कर लिया है। पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में और दूसरी जुलाई-अगस्त में होगी, जिसमें केवल पहले प्रयास में शामिल छात्र ही भाग ले सकेंगे। पूरक परीक्षा की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है, और वार्षिक रिजल्ट दोनों परीक्षाओं के अंकों पर आधारित होगा। बोर्ड कक्षाओं के बाद अन्य ग्रेड्स में भी यह मॉडल लागू किया जाएगा, जो छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करेगा।
वर्ष 2026 की बोर्ड परीक्षाओं का टाइम टेबल भी जारी हो चुका है। 12वीं कक्षा की परीक्षाएं 7 फरवरी से 3 मार्च तक, जबकि 10वीं की 11 फरवरी से 2 मार्च तक सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक आयोजित होंगी। प्रैक्टिकल एग्जाम 10 फरवरी से 10 मार्च तक चलेंगे। ये बदलाव शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और प्रभावी बनाने की ओर एक कदम हैं, जो छात्रों के भविष्य को आकार देने में सहायक सिद्ध होंगे।
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