भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दर्दनाक दीपावली की शुरुआत हो चुकी है। आज दीपावली की पूजा प्रारंभ होने के पहले तक शहर के 11 अस्पतालों में 23 घायलों को भर्ती किया गया है। सभी घायल एक विशेष प्रकार की देसी पटाखा गन को चलाने से घायल हुए हैं। इस मामले में कलेक्टर का सर्विलांस सिस्टम फेल हो गया और पूरे शहर में खुलेआम देसी पटाखा गन की बिक्री हुई। अब इसके शिकार, अस्पतालों में आ रहे हैं।
भोपाल के अस्पतालों में हाई अलर्ट, पहली बार इतनी ज्यादा घटनाएं
रविवार शाम से सोमवार सुबह तक ही 11 नए केस अलग-अलग अस्पतालों में दर्ज हो चुके हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज, BMHRC और एम्स भोपाल के वार्डों में ज्यादातर 8 से 12 साल के बच्चे भर्ती हैं, जिनकी आंखों पर गंभीर चोटें हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह पहला साल है जब दीपावली पर ऐसी घटनाएं इतनी तेजी से सामने आ रही हैं। संभावित हादसों को भांपते हुए इन संस्थानों ने इमरजेंसी ऑपरेशन यूनिट, आई डिपार्टमेंट और बर्न टीमों को हाई अलर्ट पर रखा है।
यह कोई खिलौना नहीं, बल्कि एक बम है: डॉ. हेमलता यादव
BMHRC की नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता यादव ने विस्तार से बताया कि यह गन कैल्शियम कार्बाइड से भरी होती है, जो पानी के संपर्क में आते ही एसिटिलीन गैस पैदा करती है। गन के निचले हिस्से में लगा लाइटर इस गैस को इग्नाइट करता है, जिससे तेज दबाव बनता है और विस्फोट होता है। समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब गन तुरंत न फटे और उत्सुक बच्चे झुककर देखने लगें, ठीक उसी पल ब्लास्ट हो जाता है। डॉ. यादव ने चेतावनी दी, “यह कोई खिलौना नहीं, बल्कि एक बम है जो बच्चों की जिंदगी को हमेशा के लिए अंधेरे में धकेल सकता है।”
आदमी पागल हो सकता है, कोमा में जा सकता है: डॉ. एसएस कुबरे
गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएस कुबरे ने इसके लंबे प्रभावों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि एसिटिलीन गैस सांस के जरिए शरीर में घुसकर ब्रेन और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती है। लगातार एक्सपोजर से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिसके चलते सिरदर्द, कन्फ्यूजन, मेमोरी लॉस, नींद की समस्या, मेंटल इंस्टेबिलिटी, यहां तक कि ब्रेन स्वेलिंग और सीजर्स तक हो सकते हैं। आंखों पर असर और भी घातक है, पुतली और कॉर्निया को गहरी चोट लगती है, स्टेम सेल डैमेज से कॉर्निया परमानेंटली खराब हो सकता है। कई मरीजों में ऑप्टिक न्यूरोपैथी और रेटिना स्वेलिंग के लक्षण पाए गए हैं।
भोपाल में पटाखे की प्रत्येक दुकान से कम से कम 100 गन की बिक्री हुई है
पुलिस ने कोलार रोड पर सुभाष एक्सीलेंस स्कूल के सामने अजय नाम के युवक को इन गनों की बिक्री करते पकड़ा। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह एक दिन में 80 से ज्यादा यूनिट बेच चुका है। यह गन साधारण पीवीसी पाइप, लाइटर और ग्लू से घरेलू तरीके से बनाई जाती है। अजय के मुताबिक, उसका एक ग्रुप शहर के विभिन्न इलाकों में सक्रिय है, और एक दुकान से ही रोज 80-100 गन बिक रही हैं।
सोशल मीडिया पर विज्ञापन किया था
इस ट्रेंड की जड़ सोशल मीडिया में छिपी है। भोपाल के पुष्पेंद्र ठाकुर ने बताया कि उन्होंने एक वीडियो देखा, जिसमें इस गन को 'मजेदार दिवाली टॉय' के रूप में दिखाया गया था। उसी वीडियो ने कई युवाओं को प्रेरित किया, लेकिन अब यही वीडियो खतरनाक चैलेंज में बदल गया है। पुलिस और मेडिकल एक्सपर्ट्स इसे रोकने की मांग कर रहे हैं।
ऑप्थेलमोलॉजी सोसाइटी, भोपाल डिवीजन और बीएमएचआरसी ने सरकार से तत्काल अपील की है कि इस देसी पटाखा गन के उत्पादन और बिक्री पर सख्त बैन लगाया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पब्लिक सेफ्टी का सीधा मामला है, और अगर अभी कदम न उठे तो आने वाले दिनों में हालात बेकाबू हो सकते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल मूल रूप से इंडस्ट्रियल और फैक्ट्री वर्क में होता है, लेकिन त्योहारों के मौसम में अवैध रूप से फलों को जल्दी पकाने के लिए भी यूज होता है। रिसर्च बताती है कि इसमें आर्सेनिक जैसे कार्सिनोजेनिक केमिकल्स मिले होते हैं, जो त्वचा को जला सकते हैं, खुजली और सूजन पैदा कर सकते हैं। लॉन्ग टर्म में इससे कैंसर, हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इस दिवाली, उत्सव की खुशी के साथ सतर्कता जरूरी है। बच्चों को ऐसे 'खिलौनों' से दूर रखें, वरना त्योहार का जश्न मातम में बदल सकता है।