जबलपुर। हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश ने आयुक्त उच्च शिक्षा श्री प्रबल सिपाहा IAS की योग्यता पर ही सवाल खड़ा कर दिया। विद्वान न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन कहा कि आपके आयुक्त महोदय को ही नहीं मालूम पॉलिसी क्या है? स्वयं तो ऑर्डर करते नहीं जरूर किसी बाबू जी से कराया होगा।
प्राचार्य ने शासन के आदेश की अपने अनुसार व्याख्या कर डाली
संजय गांधी स्मृति शासकीय महाविद्यालय सीधी, जिला-सीधी में जनभागीदारी निधि से वेतन पाने वाले दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों ने मध्यप्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग, मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक 1506/1880/2021/38-2 भोपाल दिनांक 05.10.2023 एवं पत्र क्रमांक 758/1021894/2022/38-2 दिनांक 09.05.2023 के निर्देशानुसार नियमितीकरण से वंचित दैनिक वेतनभोगियों को मध्यप्रदेश शासन की कर्मचारी कल्याणकारी "स्थाई कर्मी योजना" से लाभान्वित करने का अनुरोध किया गया था। किंतु प्राचार्य, संजय गांधी स्मृति शासकीय महाविद्यालय सीधी, जिला-सीधी द्वारा श्री राजीव सिंह सहित अन्य 10 कर्मचारियों को स्थाई कर्मी घोषित नहीं किया जा रहा था।
छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां सुभान अल्लाह
विवश होकर श्री राजीव सिंह सहित अन्य 10 कर्मचारियों ने माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर ने रिट याचिका 2637/2024 दायर की गई। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा दिनांक 28.02.2024 को आदेश पारित कर आयुक्त, उच्च शिक्षा, संचालनालय भोपाल को 60 दिवस में उचित आदेश जारी करने के निर्देश दिए थे। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश दिनांक 28.02.2024 के तारतम्य में आयुक्त, उच्च शिक्षा, भोपाल ने सकारण आदेश क्रमांक 730/न्या/शा-3/24 दिनांक 30.05.2024 जारी कर याचिकार्ताओं के अभ्यावेदन को अमान्य कर दिया था।
न्यायमूर्ति में सिर्फ एक सवाल किया, शासन जवाब नहीं दे पाया
आयुक्त, उच्च शिक्षा, भोपाल द्वारा अभ्यावेदन को अमान्य करने पर कर्मचारियों ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में पुनः रिट याचिका 28054/2024 दायर कर न्याय की मांग की गई। माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर के न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन ने प्रकरण पर सुनवाई की गई। शासन की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने तर्क दिया कि दिनांक 7.10.2016 की नीति, जनभागीदारी कर्मचारी के लिए नहीं है। तब न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन ने मध्यप्रदेश शासकीय, उच्च शिक्षा विभाग, मंत्रालय के आदेश दिनांक 09.05.2023 को पढ़कर सुनाया कहा कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों की जनभागीदारी/स्वशासी/स्ववित्तीय सहित अन्य निधियों से कार्यरत। तब शासन की ओर से पैरवी करने अधिवक्ता ने बोला कि यह दैनिक वेतनभोगी नहीं है। तो न्यायमूर्ति श्री जैन ने पूछा कि यह क्या है? जिसका उत्तर शासन की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता नहीं दे पाए।
सभी कर्मचारियों को 45 दिन के अंदर परमानेंट करो: हाई कोर्ट का आदेश
तब न्यायमूर्ति श्री जैन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपके आयुक्त महोदय को ही नहीं मालूम पॉलिसी क्या है? न्यायमूर्ति ने यह तक कह दिया कि आयुक्त महोदय तो ऑर्डर करते नहीं जरूर किसी बाबू जी से कराया होगा। माननीय उच्च न्यायालय ने अपना अंतिम निर्णय दिनांक 16.10.2025 पारित कर 45 दिवस में सभी याचिकाकर्ता कर्मचारियों को दिनांक 07.10.2016 की पॉलिसी के अनुसार स्थाई कर्मी योजना से लाभान्वित करने के निर्देश दिए।
Read in this news: High Court order to regularize the employees working in the colleges of Madhya Pradesh through public participation, autonomous, self-financed and other funds.