मध्य प्रदेश सरकार ने अब एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसके तहत, सरकार की तरफ से जिस काम के लिए पैसा दिया जाएगा, उसी काम पर खर्च किया जा सकता है। इसका मतलब हुआ की स्कूटी और लैपटॉप के लिए मिले पैसे से स्कूटी और लैपटॉप ही खरीद सकते हैं। लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को पोषण आहार के लिए पैसा दिया जाता है। अब उस पैसे से पोषण आहार ही खरीदा जा सकेगा। बहना के अकाउंट से पैसा निकाल कर बहनोई अपनी शाम की दवाई नहीं खरीद पाएगा।
मध्य प्रदेश: सरकारी भत्तों का भुगतान प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी में होगा
इसको प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी कहते हैं। इसका मतलब हुआ कि डिजिटल करेंसी को जिस काम के लिए प्रोग्राम किया गया है, उसी काम के लिए खर्च किया जा सकता है। इसका ट्रायल सक्सेसफुल हो चुका है। फर्स्ट फेस में इसको मध्य प्रदेश के सुपर क्लास वन अधिकारियों, क्लास वन और क्लास 2 अधिकारियों के लिए लॉन्च किया जा रहा है। सरकार उनको पेट्रोल और फोन का भत्ते देती है। जांच में कई बार पाया गया है, ड्राइवर पेट्रोल पंप वाले से रसीद ले आता है लेकिन पेट्रोल नहीं डलवाता। अधिकारियों के फोन पर इतना पैसा खर्च नहीं होता जितना उन्हें भत्ता मिलता है। प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी के कारण जितना पैसा खर्च होगा उतना ही सरकारी खजाने से जाएगा। बाकी सारा पैसा सरकारी खजाने में शेष रह जाएगा।
स्कूटी या लैपटॉप के पैसे से, AC और TV नहीं आएगा
स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से सरकार मेधावी विद्यार्थियों को स्कूटी और लैपटॉप के लिए पैसा देती है। लड़कियों को साइकिल के लिए पैसा देती है, ताकि स्कूल आने के लिए उन्हें किसी की लिफ्ट ना लेना पड़े। लेकिन पाया गया है कि, स्कूटी और लैपटॉप के पैसे का दुरुपयोग हो जाता है। कुछ पेरेंट्स, विद्यार्थियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि अपने पास रख लेते हैं और घर के उपयोग में खर्च करते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार का उद्देश्य पूरा नहीं होता। प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी के कारण अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी एक्सपायर भी होगी
प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी की दूसरी खास बात यह है कि, इसकी अपनी टाइम लिमिट होती है। उसके बाद एक्सपायर हो जाती है। यानी जो पैसा सरकारी खजाने से आपको खर्च करने के लिए मिला है, वह सरकारी खजाने में वापस चला जाता है। यानी कि सरकारी अधिकारी को जनवरी के महीने के लिए मिला पेट्रोल अलाउंस, जनवरी में ही खर्च करना होगा। वह फरवरी के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं होगा और महीने की आखिरी तारीख को जितना पैसा बचेगा, वह सब सरकार के पास वापस चला जाएगा।
चोरी पकड़ी जाएगी
यह पैसा एक विशेष प्रकार के मोबाइल एप्लीकेशन में होगा। कर्मचारी अथवा योजना के हितग्राही के बैंक अकाउंट में नहीं होगा। इस मोबाइल एप्लीकेशन में पेमेंट करने के बाद GST INVOICE भी अपलोड करनी होगी। मोबाइल एप्लीकेशन में GPS चालू रहेगा इसलिए यह भी पता चलेगा कि कर्मचारी अथवा योजना का हितग्राही स्वयं मौजूद है या नहीं। अस्पताल में भर्ती है या पेमेंट करके चला गया है।
प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी का उपयोग कितनी योजनाओं और कामों में होगा
- किसानों को खाद-बीज, उपकरण आदि के लिए अलग-अलग योजनाओं में पैसा दिया जाता है। अथवा लोन दिया जाता है। अब जिस काम के लिए पैसा मिलेगा, उसी काम के लिए खर्च हो पाएगा।
- सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को वेतन के अलावा कई प्रकार के भुगतान होते हैं। प्रोविडेंट फंड का पैसा भी होता है।
- लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को पोषण आहार के लिए पैसा दिया जाता है। इस धनराशि का कई प्रकार से उपयोग हो जाता है। कई बार दुरुपयोग भी हो जाता है।
- विधायकों को यात्रा, टेलीफोन और अन्य कई प्रकार के कामों के लिए के लिए भत्ता दिया जाता है। एक महीने के लिए ₹15000 टेलीफोन भत्ता मिलता है। अब मिलेगा तो सही लेकिन इस धनराशि से केवल विधायक जी का मोबाइल फोन रिचार्ज हो पाएगा और घर के टेलीफोन एवं ऑफिस के ब्रॉडबैंड का बिल ही जमा हो पाएगा।
इसके अलावा वह सारे कंट्रोल हो जाएंगे जो इस रिपोर्ट में लिखे नहीं है परंतु आपको समझ में आ गए हैं। कृपया इस जानकारी को सोशल मीडिया पर सभी के साथ शेयर करें और यह भी बताएं कि प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी के कारण किसको लाभ और किसको हानि होगी। प्रोग्रामेबल डिजिटल करेंसी में भुगतान करना सही है या गलत।