भोपाल: प्रदेश क़े शासकीय महाविद्यालयों मे कई वर्षो से कार्य कर रहे जनभागीदारी निधि से वेतन पाने वाले दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा स्थाईकर्मी श्रेणी प्रदाय किये जाने हेतु विभाग स्तर से निर्देश प्रसारित हो चुके है लेकिन बावजूद उसके कई शासकीय महाविद्यालयों क़े प्राचार्य द्वारा आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है जिससे कर्मचारी माननीय उच्च न्यायालय की शरण ले रहे हैं।
हाई कोर्ट ने दिसंबर 2024 में आदेश पारित किया था
ऐसे ही एक प्रकरण शासकीय होलकर विज्ञान महाविद्यालय इंदौर का सामने आया है। शासकीय होलकर विज्ञान महाविद्यालय इंदौर की जनभागीदारी निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों ने स्थाई कर्मी योजना से लाभान्वित करने हेतु माननीय उच्च न्यायालय इंदौर की शरण ली गई थी। माननीय उच्च न्यायालय इंदौर ने अंतिम निर्णय दिनांक 20.12.2024 को पारित किया गया था। किंतु माननीय उच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय का पालन प्राचार्य द्वारा ना करने पर अवमानना याचिका दायर की गई। लंबे समय से अवमानना प्रकरण पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा था किंतु हाइकोर्ट के आदेश का पालन ना करने पर शासकीय होलकर विज्ञान महाविद्यालय इंदौर की प्राचार्य डॉ अनामिका जैन को हाइकोर्ट ने आज तलब किया।
प्राचार्य ने हाई कोर्ट का आदेश स्थगित कर दिया
अधिवक्ता गौरव पांचाल नें जानकारी देते हुए बताया है कि शासकीय होलकर विज्ञान महाविद्यालय इंदौर की प्राचार्य डॉ. अनामिका जैन नें जनभागीदारी निधि से वेतन पाने वाले दैनिक वेतनभोगियों को स्थाईकर्मी योजना से लाभान्वित नहीं करने को लेकर तर्क दिए गए लेकिन हाईकोर्ट नें फटकार लगाते हुए कहा है कि रिट याचिका में दिनांक 20.12.2024 को पारित आदेश को लगभग एक वर्ष बीत चुका है। यह स्थगन का आधार नहीं हो सकता कि पुनर्विचार याचिका लंबित है।
अंतिम अनुमति के रूप में न्यायालय द्वारा पारित आदेश का पालन करें अन्यथा प्राचार्य के विरुद्ध कार्यवाही के लिए उचित आदेश पारित किया जाएगा। हाइकोर्ट ने दो सप्ताह बाद होने वाली आगामी सुनवाई से पहले कंप्लायंस करने के निर्देश प्राचार्य को दिए।