मेरी नाव तुम्ही पतवार तुम्ही,तुम ही भव सिंधु किनारा हो ।।
हे नाथ दयाल दया करके सबका संकटमोचन कर दो,
सबको सन्मार्ग दिखा करके मन में साहस का बल भर दो,
भव सिंधु फंसी मेरी नैया के अब तुम ही खेवनहारा हो।
हे नाथ मेरे बजरंगबली प्रभु आप ही एक सहारा हो।।
दुष्टों का दंभ दलन करते, भक्तों का मान बढ़ाते हो,
करते भयमुक्त सभी जन को प्रभु भूत पिशाच भगाते हो,
उत्ताल उभरती लहरों से अब तुम ही तारणहारा हो ॥
हे नाथ मेरे बजरंगबली प्रभु आप ही एक सहारा हो।।
सोने के पर्वत सी काया अतुलित बल धाम कहाते हो,
पल भर में सागर लांघ तुम्हीं सिय का संदेश सुनाते हो,
हो रामकाज के हेतु तुम्हीं प्रभु राम दूत अवतारा हो।।
हे नाथ मेरे बजरंगबली, प्रभु आप ही एक सहारा हो॥
मन मंदिर दीप जला करके जोगी जन तुमको ध्याते हैं,
मन की इच्छा अनुसार सभी वरदान, मनौती पाते हैं,
तुम राम नाम के रसिया हो तुम ही बल बुद्धि अपारा हो।।
हे नाथ मेरे बजरंगबली प्रभु,आप ही एक सहारा हो॥
-डॉ विनय दुबे, रीवा
संपर्क: 9827352863