मप्र में एक और बेरोजगार अतिथि शिक्षक ने फांसी ली, अंग्रेजी के विद्वान थे जगदीश शास्त्री सर / MP NEWS

भोपाल। कोरोनावायरस के नाम पर सरकार ने उन सभी गतिविधियों को बंद कर दिया है जो सरकार के दायित्व होते हैं, दिन में पैसा खर्च होता है। अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति हुई एक ऐसा ही काम है जो सरकार ने कोरोनावायरस के नाम पर बंद कर रखा है। नतीजा यह कि वर्षों से शासकीय विद्यालयों से प्राप्त नाम मात्र के मानदेय पर गुजर बसर कर रहे अतिथि शिक्षकों के लिए जीवन यापन का प्रश्न खड़ा हो गया है। ताजा खबर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर से आ रही है। यहां एक लोकप्रिय अतिथि शिक्षक श्री जगदीश प्रसाद शर्मा ने आत्महत्या कर ली।

नियमितीकरण नहीं होने के कारण डिप्रेशन का शिकार थे अतिथि शिक्षक जगदीश प्रसाद

अतिथि शिक्षक जगदीश प्रसाद शर्मा पिता लक्ष्मीनारायण शर्मा (32) निवासी अपना नगर मूल निवासी मऊ (सुठालिया) ने शुक्रवार शाम अपने ही घर में फांसी लगाकर जान दे दी। क्योंकि वह एक लोकप्रिय शिक्षक थे और उनकी सेवाएं नियमित नहीं हो पा रही थी इसलिए श्री जगदीश प्रसाद शर्मा काफी समय से डिप्रेशन का शिकार थे। निराशा में आकर वह पहले भी आत्मघाती कदम उठा चुके थे। परिजन इंदौर के एक अस्पताल में उनका इलाज करवा रहे थे। 

टीआई युवराजसिंह चौहान ने बताया कि घटना की सूचना मिलने पर टीम मौके पर पहुंची थी, जहां उक्त शिक्षक के शव को नीचे उतारकर शव का पंचनामा बनाया गया। मृतक के खुदकुशी करने की वजह अभी अज्ञात है। हालांकि मृतक के घर में लगे सीसीटीवी कैमरे में उसके आत्महत्या करने का घटनाक्रम कैद हुए है, जिसके फुटेज पुलिस ने लिए है। 

जगदीश प्रसाद अंग्रेजी भाषा के शिक्षक थे, जीवन यापन के लिए उन्होंने प्राइवेट कोचिंग भी शुरू की थी

जानकारी के अनुसार अतिथि शिक्षक श्री जगदीश प्रसाद शर्मा अंग्रेजी विषय के सबसे अच्छे शिक्षकों में से एक थे। जीवन यापन के लिए उन्होंने प्राइवेट कोचिंग भी शुरू की थी परंतु लोकप्रिय और लोगों द्वारा दिए गए सम्मान के कारण फीस नहीं मांग पाते थे। उन्होंने कई वर्षो तक स्थानीय शासकीय स्कूल में बतौर अतिथि शिक्षक बच्चों को पढ़ाया।

अतिथि शिक्षक संघ ने की मुआवजा देने की मांग

स्वर्गीय श्री जगदीश प्रसाद शर्मा अतिथि शिक्षक संगठन में ब्यावरा ब्लॉक प्रभारी के पद पर रह चुके हैं। शिक्षक द्वारा उठाए गए इस दर्दनाक कदम के संबंध में संगठन के प्रदेश प्रभारी जगदीश शास्त्री, जिलाध्यक्ष सत्येंद्र नागर सहित जिले के अतिथि शिक्षकों में इस घटना पर शोक जताते हुए शासन की नीतियों का विरोध किया है। उनका कहना था कि अतिथि शिक्षक रहकर सभी 12 साल से नियमित होने का इंतजार कर रहे हैं। यदि सरकार समय पर अतिथियों को नियमित कर देती तो कई अतिथि शिक्षक डिप्रेशन का शिकार न होते। अतिथि शिक्षक संघ ने मृतक शिक्षक के परिजनों को आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10 लाख रुपए का मुवावजा दिए जाने की मांग की है।

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