प्रकृति ने सभी प्राणियों को समान रूप से बनाया है। इंसान और जानवर पृथ्वी पर एक दूसरे के साथी है। कुछ वाइल्डलाइफ विशेषज्ञ तो यह भी कहते हैं कि यदि पृथ्वी पर जानवर नहीं होंगे तो इंसान भी नहीं होंगे और यह बात तो हम सभी जानते हैं कि मनुष्य सदियों पहले बंदर जैसा देखने वाला एक जानवर था जो विकसित होते होते हैं आज के स्वरूप में आया है। सवाल यह है कि जब ज्यादातर जानवर पेट के बल सोते हैं तो फिर इंसान पीठ के बल क्यों सोते हैं।
इंसान पीठ के बल क्यों सोते हैं, पेट के बल क्यों नहीं
मनुष्य के विकास की प्रक्रिया के दौरान विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन के लिए कुछ किताबें लिखी जिन्हें हिंदुओं के धर्म ग्रंथ या शास्त्र कहते हैं। अब तो डॉक्टर भी मानने लगे हैं, शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को पीठ के बल विश्राम करना चाहिए या फिर बाईं करवट। पेट के बल तो किसी भी स्थिति में नहीं सोना चाहिए। यदि मनुष्य पेट के बल सोएगा तो उसके शरीर को पूरा विश्राम नहीं मिलेगा। इसके पीछे का लॉजिक यह है कि प्राणी को विश्राम तभी मिलता है जब उसकी रीड की हड्डी पर कोई प्रेशर ना हो। आसमान की ओर चेहरा करके सोने पर मनुष्य की रीड की हड्डी को लगभग 100% विश्राम मिलता है।
जानवर पेट के बल क्यों सोते हैं
अब आते हैं आपके प्रश्न के पहले भाग पर। इसका कारण है जानवरों के रीढ़ की हड्डी की बनावट। हम लोग दो पैरों पर चलते हैं खड़े होकर लेकिन जानवर चार पैरों पर चलते हैं। जानवरों की रीड की हड्डी, मनुष्य की रीड की हड्डी से अलग होती है। जानवर अपना पूरा खाना पचाने के बाद पेट के बल विश्राम करता है तो उसकी रीढ़ की हड्डी को भी विश्राम मिल जाता है। कुछ जानवर ऐसे भी हैं जिनकी संरचना मनुष्यों की तरह है और ऐसे जानवर करवट लेकर विश्राम करते हैं।
साइंस की टीचर से समझिए
श्रीमती शैली शर्मा बतातीं हैं कि मनुष्य एक द्विपार्श्व सम्मित या bilateral symmerical प्राणी है। इसका अर्थ है यदि मनुष्य के शरीर को लंबाई में काटा जाए तो दो बराबर हिस्सों में काटा जा सकता बराबर बराबर हिस्सों में काटा जा सकता है।
चूँकि मनुष्य के शरीर के ज्यादातर सभी तंत्र जैसे- पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, परिसंचरण तंत्र आदि अधर तल ( ventral surface) या साधारण भाषा में कहें तो आगे की तरफ स्थित होते परंतु कंकाल तंत्र यानी स्केलेटल सिस्टम में स्थित रीड की हड्डी (spinal chord) पृष्ठ सतह या (dorsal surface)यानी की पीछे की तरफ स्थित होती है।
इसकी स्थिति ही ऐसी होती है कि हमें उसे सीधा रखकर ही आराम मिल पाता है। इसके अतिरिक्त पीठ के बल सोने से कमर दर्द में आराम मिलता है ,शरीर का शेप और पोस्टर सही रहता है तथा सांस लेने के लिए उचित मात्रा में ऑक्सीजन मिल पाती है। जो कि पेट के बल सोने में नहीं मिलती। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)