JABALPUR से छीन लिया गया 150 साल पुराना ट्रेनिंग सेंटर, प्रतिष्ठा का प्रतीक था TTC

जबलपुर।
किसी जमाने में भारत देश के चिन्हित शहरों में शामिल जबलपुर अब सिमटता जा रहा है। आबादी भले ही बढ़ रही है परंतु जबलपुर की पहचान घटती जा रही है। 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के समय तय किया गया था कि सभी मुख्यालय भोपाल में नहीं रहेंगे बल्कि कुछ जबलपुर में भी रहेंगे लेकिन अब उस प्रतिज्ञा का पालन नहीं किया जा रहा। जबलपुर की प्रतिष्ठा का 150 साल पुराना चिन्ह (भारत रत्न भीमराव आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेलीकॉम ट्रेनिंग तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान) छीन लिया गया है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में शिफ्ट कर दिया गया है।

जबलपुर में अब TTC का केवल CGM ऑफिस शेष रह गया है

भारत रत्न भीमराव आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेलीकॉम ट्रेनिंग तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान (टीटीसी) देशभर के ट्रेनिंग संस्थान का प्रमुख दफ्तर था। यहां चीफ जनरल ऑफिस था। जो अब एडवांस लेवल ट्रेलीकम्युनिकेशन ट्रेनिंग सेंटर गाजियाबाद (एएलटीटीसी) चला गया है। यहां सिर्फ मुख्य महाप्रबंधक दफ्तर ही रह गया है।

TTC का हेड क्वार्टर ट्रांसफर करके आंचलिक प्रशिक्षण केंद्र बना दिया

नागरिक उपभोक्ता मागदर्शक मंच ने 1 जनवरी 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली और मप्र के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर टेलीकॉम क्षेत्र का जबलपुर में स्थित ऑल इंडिया ट्रेनिंग सेंटर को मुख्यालय स्थानांतरण की जानकारी चाही। डॉ.पीजी नाजपांडे ने बताया कि टीटीसी को आंचलिक प्रशिक्षण केंद्र बना दिया है जबकि पहले वह मुख्यालय था। उसका दर्जा घटा दिया है। वहीं दूसरा पत्र भारत रत्न भीमराव आंबेडकर टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर से मिला है जिसमें 1 फरवरी 2020 से महाप्रबंधक यहां रहने की जानकारी दी।

TTC जबलपुर की प्रतिष्ठा का प्रतीक चिन्ह था

टीटीसी का इतिहास करीब 150 साल पुराना है। पिछले दिनों टीटीसी को एक निजी वेबसाइट के सर्वे में देश का सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण संस्थान का दर्जा भी मिल चुका है। इसमें न केवल तकनीकी बल्कि कला क्षेत्र के कई आयोजन हर साल होते रहे हैं। 1942 में ट्रेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर के रूप में काम शुरू हुआ। करीब 75 एकड़ का भव्य परिसर है। फिलहाल इसके चार हॉस्टल में धर्मशास्त्र नेशनल लॉ युनिवर्सिटी का कैम्पस संचालित हो रहा है। जबकि आवासीय परिसर अधिकारियों और कर्मचारियों को किराये पर दिये गये हैं।

इनका कहना है
जबलपुर से टीटीसी के तौर पर बड़ी विरासत थी। इसका मुख्यालय जाने को लेकर सांसद राकेश सिंह से चर्चा की गई थी। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि वो इस मामले में पहल कर रहे हैं। मैं दोबारा इस विषय पर उनसे बात करूंगा।
अशोक रोहाणी, कैंट विधायक

इस संबंध में पूर्व में राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा से बात हुई है वो प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में संगठन स्तर पर इस मुद्दे को उठाकर आगे की कार्रवाई करेंगे।
अभिषेक चौकसे, (चिंटू)उपाध्यक्ष कैंट बोर्ड

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