भोपाल। मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत सूबे के सरकारी कालेजों में अध्यापन कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों को किस प्रकार सरकार की गलत नीतियों ने बर्बादी के कगार पर पहुँचा दिया है इसकी बानगी इन दिनों प्रदेश में आसानी से देखी जा सकती है। प्रदेश के उच्च शिक्षित अतिथि विद्वान पिछले दो दशकों से विभिन्न सरकारों से अपने नियमितीकरण की मांग करते आये हैं किन्तु नियमितीकरण तो दूर कई अतिथिविद्वान पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा फालेन आउट करके बेरोजगार कर दिए गए है।
ताज़ा मामला शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर में पदस्थ अतिथि विद्वान ड्रा अनूप सेन का आया।विदित हो कि दिवंगत अतिथि विद्वान अनूप सेन नेट और पीएचडी डिग्री धारी थे और पिछले 20 वर्षों से महाविद्यालय में लगातार सेवा देते आ रहे थे लेकिन आर्थिक हालात और अनिश्चित भविष्य के चलते स्वर्ग सिधार गए।वे आर्थिक तंगी के कारण बेहद परेशान एवं तनाव ग्रस्त थे।मोर्चा के संयोजक वा संघ के अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह के अनुसार आज अतिथि विद्वान बेहद बदहाल स्थिति में जीवन यापन कर रहे है।
फालेन आउट होकर बेरोजगार हो जाने से स्थिति और भयावह हो गई है।आर्थिक तंगी और अनिश्चित भविष्य ने अतिथिविद्वानों को अंदर तक तोड़ के रख दिया है।हमने राज्य शासन को हाल ही में पत्र लिखकर अवगत कराया था कि अतिथि विद्वान फालेन आउट होने व कोरोना संकट के कारण आर्थिक रूप से टूट चुके हैं।सरकार को फालेन आउट अतिथिविद्वानों के लिए भी सहायता करनी चाहिए।जिससे वे इस संकट की घड़ी में अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।
फालेन आउट अतिथि विद्वानों को अंदर लेने में हो रही देरी से घट रही लगातार ऐसी घटनाएं
आज पूरा मध्य प्रदेश शर्मिंदा हैं उच्च शिक्षा विभाग शर्मिंदा है कि नेट पीएचडी डिग्री लेने के बाद 20 वर्षों तक सेवा देने के बाद आज भी अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं है ये बड़ा सवाल है सरकार के सामने।मोर्चा के मिडिया प्रभारी ड्रा आशीष पांडेय ने कहा कि आज भी 1800 अतिथि विद्वान नौकरी से बाहर है 8 महीने से जबकि सरकार बने 5 महीने हो रहे हैं लेकिन सरकार एक भी कदम नहीं उठाई है अतिथि विद्वानों के हित में जबकि अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर ही सत्ता की बागडोर भारतीय जनता पार्टी को मिली है।सरकार से आग्रह है कि बिना देर किए सभी 1800 अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लीजिए जिससे आगे ऐसी घटनाए ना हो सकें।
नियमितीकरण हेतु हमने लंबा संघर्ष किया है।विपक्ष में रहते स्वयं शिवराज सिंह जी ने विधानसभा सत्र के दौरान उठाया था।उन्होंने कहा था कि नियमितीकरण के संघर्ष में शिवराज हमेशा अतिथिविद्वानों के साथ है।अतः हमें आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि मुख्यमंत्रीजी हमारे सभी विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितीकरण के संबंध में जल्द निर्णय लेंगे।
आखि़र कब खुलेगी सरकार की नीद, अभी और कितनी देनी होगी आहुति
मोर्चा के प्रवक्ता ड्रा मंसूर अली ने बयान जारी करते हुए सरकार से पूछा है कि आख़िर कब तक बाहर हुए 1800 अतिथि विद्वान व्यवस्था में आएंगे।अभी और कितनी आहुति देनी होगी उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों को अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए।आज जबलपुर के अतिथि विद्वान ड्रा अनूप सेन नहीं रहे आज पूरा विद्वान जगत शोकाकुल है।सरकार तो सुरक्षित हो गई सत्ता मिल गई विद्वानों के मुद्दे पर लेकिन अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित कब होगा ये सरकार को बताना चाहिए।