हमीदिया के डॉक्टरों पर आरोप लगाने वाले नरेंद्र की दूसरी बेटी भी मर गई / BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल
। हमीदिया अस्पताल के मैनेजमेंट और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाने वाले नरेंद्र गहलोत की दूसरी बेटी की भी मृत्यु हो गई है। दोनों बेटियों को 6 अगस्त को हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया गया था। 16 वर्षीय छोटी बेटी की मृत्यु उसी दिन हो गई थी, जिसके बाद पिता नरेंद्र गहलोत ने हमीदिया अस्पताल प्रबंधन पर गलत इलाज करने का आरोप लगाया था। आज इसी हमीदिया अस्पताल में नरेंद्र की बड़ी बेटी की मौत हो गई।

लड़कियों को सिर्फ पेट और सिर में हल्का दर्द था

बता दें कि राजधानी के छोला रोड निवासी नरेंद्र गहलोत ने अपनी बड़ी बेटी पायल और छोटी बेटी सुहानी को सिर व पेट दर्द की शिकायत होने पर गुरुवार सुबह 9 बजे हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया था। नरेंद्र गहलोत के मुताबिक दोनों को पहले जनरल वार्ड में भर्ती किया था, तब दोनों ठीक थी। केवल सिर व पेट दर्द हो रहा था।

छोटी बेटी सुहानी की मौत उसी दिन हो गई थी, पिता ने डॉक्टरों पर खुले आरोप लगा दिए थे 

छोटी बेटी सुहानी की मौत उसे हमीदिया अस्पताल में भर्ती करने के 24 घंटे के भीतर हो गई थी। पिता नरेंद्र गहलोत ने डॉक्टरों की लापरवाही एवं हमीदिया अस्पताल के जानलेवा मिसमैनेजमेंट का खुलासा कर दिया था। हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया ने नरेंद्र गहलोत की शिकायतों पर ध्यान देने के बजाय पूरी ताकत से आरोपों का खंडन कर दिया था। 

बड़ी बेटी पायल को बिना जांच किए कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया था 

हमीदिया अस्पताल में डॉक्टरों ने बिना कोई किसी जांच रिपोर्ट के पायल को कोरोनावायरस का मरीज बताते हुए उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर दिया था। 24 घंटे बाद जब उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई तो उसे आइसोलेशन वार्ड से बाहर निकाला गया लेकिन तब तक पायल की हालत खराब हो चुकी थी। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। छोटी बेटी की मौत और आरोप-प्रत्यारोप के 6 दिन बाद डॉक्टरों ने बड़ी बेटी पायल को मृत घोषित कर दिया।

आपबीती- अस्पताल नहीं मौत का ठिकाना है हमीदिया

अस्पताल से लोग ठीक होकर लौटते हैं, मैं अपनी दोनो बेटियों को गंवाकर लौट रहा हूं। मेरे जीवन में इससे बुरे दिन नहीं हो सकते। किसी को तो मेरी बेटियों की चिंता होती, कहीं से तो मदद मिल जाती। ये कैसा पत्थर दिल प्रशासन है, जो मेरी दो में से एक भी बेटी को नहीं बचा पाया। लोग डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं, मैं हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों को जीवन भर इस बात के लिए जानूंगा कि इन्होंने मेरी बेटियों को नहीं बचाया। ईश्वर मेरी बेटियों का सही समय पर सही इलाज नहीं देने वालों को कभी माफ नहीं करेगा। दूसरों के लिए हमीदिया भले ही अस्पताल हो, लेकिन मेरे लिए तो मौत का ठिकाना है, जो मुझे मरते दम तक याद रहेगा।
नरेंद्र गहलोत, मृतक पायल के पिता 

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