कर्मचारी के व्यक्तिगत लाभ के लिए बेतुका तबादला हाईकोर्ट से निरस्त / EMPLOYEE NEWS

जबलपुर। एक कर्मचारी को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए किया गया बेतुका तबादला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। मामला वन विभाग का है। रीवा से हेड क्लर्क का ट्रांसफर सीधी कर दिया गया था और उनके बदले सतना से अकाउंटेंट को रीवा बुलाया गया था। हाईकोर्ट ने माना कि हेड क्लर्क का रिप्लेसमेंट अकाउंटेंट नहीं हो सकता। एडवोकेट अमित चतुर्वेदी ने प्रमाणित किया कि यह तबादला व्यापक लोकहित में नहीं बल्कि व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया है। हाईकोर्ट ने ट्रांसफर आर्डर को टर्मिनेट कर दिया।

मामला इस प्रकार है, श्री सुरेश सिंह, मुख्य लिपिक अनुसंधान विस्तार वृत्त, रीवा में मुख्य लिपिक के पद पर कार्य कर रहे थे। कथित, प्रशासनिक जरूरत के आधार पर, सुरेश सिंह को अनुसंधान विस्तार वृत्त, रीवा से टाइगर रिज़र्व, सीधी, दिनाँक 05/07/2019 को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया था। उसी दिन, अर्थात दिनाँक 05/07/2019 को एक लेखपाल का स्थानांतरण, वन मंडल सतना से अनुसंधान विस्तार वृत्त, रीवा किया गया था। जबकि, लेखपाल का पद अनुसंधान विस्तार वृत्त में रिक्त नहीं था।  ऑफिस के पत्राचार से यह बात स्पष्ट थी। 

अप्रत्यक्ष रुप से संबंधित लेखपाल  को लाभान्वित करने के इरादे से श्री सुरेश सिंह को सीधी स्थानांतरण किया गया था। जबकि, उनके पश्चात, किसी भी मुख्य लिपिक का स्थानांतरण, रीवा, नही किया गया था। अर्थात, मुख्य लिपिक का पद खाली था।

श्री सुरेश सिंह के ट्रांसफर के पीछे कोई भी प्रशासनिक जरूरत एवं लोकहित प्रतीत नही होता था। जबकि व्यक्ति विशेष को पसंदीदा स्थान और पदस्थापना के उद्देश्य से ट्रान्सफर किया गया था। श्री सिंह द्वारा वर्ष 2019 जुलाई में हाई कोर्ट जबलपुर में याचिका दायर कर, ट्रांसफर आदेश दिनाँक 05/07/19 को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा 19/07/19 को याचिका को अंतिम रूप से विभाग को इस निर्देश के साथ निराकृत किया था कि विभाग श्री सिंह के आवेदन का निराकरण करेगा उस अवधि में ट्रांसफर स्टे रहेगा।

श्री सुरेश सिंह द्वारा, हाई कोर्ट जबलपुर के निर्देश के पालन में विभाग के समक्ष विस्तृत आवेदन देकर, अवगत करवाया गया था कि लेखापाल का पद ऑफिस में रिक्त नही है एवम मुख्य लिपिक के पद पर किसी का स्थानांतरण नही किया गया है। उनके स्थान पर, लेखापाल का स्थानांतरण किया गया है। स्थानांतरण बाहरी कारणों से प्रेरित है। उनके विरुद्ध कोई शिकायत नही है। यद्यपि, लगभग 10 महीने बाद श्री सिंह का अभ्यावेदन दिनाँक 26/05/2020 को निरस्त कर, सीधी कार्यमुक्त कर दिया गया था। अतः श्री सुरेश सिंह ने पुनः उच्च न्यायालय, जबलपुर की शरण ली।

श्री सुरेश सिंह, की ओर से उच्च न्यायालय, जबलपुर में पैरवी करने वाले, अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार, उच्च न्यायालय के पूर्व के निर्देश का पालन किये बिना, सुरेश सिंह के आवेदन  को विभाग द्वारा दिनाँक 26/05/2020  को निरस्त  कर दिया गया था। सम्बन्धित कर्मचारी द्वारा विशेष रूप रूप से यह उल्लेख किया गया था कि अनुसंधान विस्तार वृत्त, रीवा में लेखापाल का पद खाली नही है। एवं उनके स्थान पर समान सामर्थ्य वाले  कर्मचारी , स्थानांतरण नही किया गया है। इसके अतिरिक्त, आदेश दिनांक 26/05/2020 में कथित  रुप से कर्तव्य निर्वहन नही करने के नवीन आरोप, कर्मचारी सुरेश सिंह के ऊपर लगाये गए।

अधिवक्ता, अमित चतुर्वेदी  ने बताया कि स्थानांतरण बाहरी दबाबों एवम कारणों से प्रेरित नही होना चाहिए। इसके अतिरिक्त लोकहित एवं प्रशासनिक जरूरत की अनुपस्थिति में ट्रांसफर अनुचित होता है।  दण्ड के रूप में ट्रांसफर नही किया जा सकता है। मिले जुले कारणों के आधार पर, उच्च न्यायालय , जबलपुर ने विभाग द्वारा, जारी , आदेश/ कार्यमुक्ति आदेश, दिनांक 26/05/2020 को निरस्त कर विभाग को नवीन आदेश जारी करने करने के निर्देश जारी किए हैं।  श्री सुरेश सिंह, मुख्यलिपिक अनुसंधान विस्तार वृत्त, रीवा में कार्य करेंगे।

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