मांसाहारी जानवर हमेशा शाकाहारी जानवरों का शिकार क्यों करते हैं, दूसरे मांसाहारियों का क्यों नहीं / GK IN HINDI

एक बड़ी मजेदार बात जो हर किसी ने अपने स्कूल टाइम में पढ़ी है परंतु शायद गौर नहीं किया आज उसी की बात करते हैं। प्रकृति के जीवन चक्र को- जो हम सबने स्कूलों में पढ़ा है, मांसाहारी जानवर हमेशा शाकाहारी जानवरों का शिकार करते हैं। वह उन मांसाहारी जानवरों का शिकार भी नहीं करते जो उनसे कमजोर होते हैं। यानी जंगल का शेर अपने से कमजोर किसी भी मांसाहारी जानवर (सियार आदि) का शिकार नहीं करता जबकि अपने से ताकतवर और ज्यादा तेज भागने वाले शाकाहारी जानवरों का शिकार जरूर करता है। सवाल यह है कि वह ऐसा क्यों करता है। क्या उसे बचपन से ऐसी आदत डाल दी जाती है या फिर इसके पीछे प्रकृति का कोई विज्ञान है। आइए, समझने की कोशिश करते हैं:-

प्रसिद्ध महिला पत्रकार एवं ब्लॉगर अंजली शर्मा ने अपने एक लेख में बताया है कि बचपन में स्कूल में पढ़ी गई खाद्य श्रृंखला को याद कीजिए। इसके अनुसार, पेड़-पौधे सूर्य की रोशनी से अपना भोजन बनाते हैं। पेड़-पौधों को शाकाहारी जीव खाते हैं और आखिर में ये शाकाहारी जीव, मांसाहारी का भोजन बनते हैं। पेड़-पौधे सूर्य से जो ऊर्जा प्राप्त करते रहते हैं, वह भोजन श्रृंखला के जरिए तमाम जीवों तक पहुंचती है लेकिन यह ऊर्जा हर चरण पर कम होती जाती है। ऊर्जा के इन अलग-अलग स्तरों को ट्रोफिक लेवल कहते हैं। कोई भी शाकाहारी या मांसाहारी जीव किस ट्रोफिक लेवल में आता है, इसी पर उसके खान-पान का व्यवहार निर्भर करता है। उदाहरण के लिए 
  1. ट्रोफिक लेवल-1 में पेड़-पौधे आते हैं और वे सूर्य की रोशनी से उर्जा लेते हैं। 
  2. ट्रोफिक लेवल -2 पर कीट या अन्य शाकाहारी जीव आते हैं जो पेड़-पौधों से ऊर्जा लेते हैं। 
  3. ट्रोफिक लेवल-3 पर इन जीव-जंतुओं को खाने वाले मांसाहारी जीव आते हैं। 

यहां पर जानने वाली बात यह है कि ट्रोफिक लेवल-3 पर ऊर्जा का स्तर लेवल-2 की तुलना में कम होगा और लेवल-2 पर यह लेवल-1 से कम होगा। कहने का मतलब यह है कि खाद्य श्रृंखला या ट्रोफिक लेवल में आगे बढ़ते जाने पर भोजन से मिलने वाली ऊर्जा क्रमशः कम होती जाती है। इस व्यवस्था में अगर वे अपने ही ट्रोफिक लेवल के किसी जीव को खाएंगे तो उन्हें भोजन से मिलने वाली ऊर्जा की यह मात्रा और भी कम हो जाएगी और भरपूर भोजन करने के बाद भी मांसाहारी जीव ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाएगा। सरल शब्दों में यह कि अपनी आयु को पूरा जीने के लिए पर्याप्त भोजन की आवश्यकता है और पर्याप्त भोजन की परिभाषा सभी के लिए अलग-अलग है। अब एक और सवाल पैदा होता है और वह यह कि यदि बात ऊर्जा की ही है तो मांसाहारी जीव ऊर्जा के सबसे पहले स्तर यानी ट्रॉफिक लेवल 1 (वनस्पति) को अपना भोजन क्यों नहीं बना लेते हैं। यदि शेर को बचपन से घास (वनस्पति) खिलाई जाए तो क्या उसकी उम्र बढ़ जाएगी।

trophic level means पोषण स्तर

विदिशा मध्यप्रदेश में साइंस की टीचर श्रीमती शैली शर्मा ने बताया कि प्रत्येक पोषण स्तर पर 10 % ऊर्जा कम हो जाती है अर्थात शाकाहारी को मांसाहारी से 10 %अधिक ऊर्जा मिलती है। इन तीनों पोषण स्तरों के अतिरिक्त खाद्य श्रृंखला को शुरू करने वाले अपघटक तथा इसे खत्म करने वाले सर्वाहारी भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपघटको को प्रकृति के सफाई कर्मी कहा जाता है जो खाद्य श्रंखला की निरंतरता को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

मनुष्य सर्वाहारी प्राणी है, शाकाहारी और मांसाहारी 

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मनुष्य एक सर्वाहारी प्राणी है जो आवश्यकता पढ़ने पर शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों प्रकार का बन सकता है अर्थात शेर से अधिक खतरनाक मनुष्य है आवश्यकता के लिए किसी को भी खा सकता है।

शेर भूखा होने पर भी घास क्यों नहीं खाता

प्रत्येक जीव की खाने पीने की आदतें  उसके शरीर संरचना पर मुख्यता पाचन तंत्र पर निर्भर करती है। शेर का पाचन तंत्र जुगाली करने वाले जानवरों जैसा नहीं है जो सीधे घास खाते हैं। इस कारण शेर घास नहीं खाता। शेर के शरीर में घास को पचाने के लिए अर्थात सैलूलोज को पचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है इस कारण वह घास नहीं खा सकता। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)

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