लॉक डाउन में इम्युनिटी बढ़ाने फर्मेंटेड फूड खाएं | NATIONAL NEWS

भोपाल। कोरोना संक्रमण के डर ने आज कल सभी को चिंता में डाल दिया है और कहा जाता है कि 'चिंता चिता के समान होती है' दरअसल चिंता रोग प्रतिरोधक क्षमता बिगाड़ देती है, इसलिए चिंता के बजाए चिंतन पर ध्यान देना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान फल और सब्जी भरपूर मात्रा में खाना चाहिए, पर अभी वह नहीं मिल रहे इसलिए बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और बेहतर गुणवत्ता वाला वसायुक्त भोजन करना चाहिए।

खाने में घी का उपयोग ज्यादा करें। रोज नारियल खाएं। यदि गीला नारियल नहीं मिलता तो सूखा नारियल खाएं क्योंकि नारियल, अखरोट, बादाम में गुणवत्तायुक्त वसा होती है, जो बच्चे के विकास और उसके दिमाग के विकास में मदद करता है। सत्तू का प्रयोग करें क्योंकि इसमें अच्छी मात्रा में प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रिन्ट्स, विटामिन और प्रोटीन होते है। यदि यह भी नहीं है तो चना, मूंगफली और थोड़ा सा गुड खा सकते हैं। यह सब आपको ताकत देता है और बच्चे के विकास में मददगार होता है।   

पहले के जमाने में गर्भावस्था के दौरान फर्मेंटेड फूड बहुत खाया जाता था जैसे अचार, इडली-डोसे का घर पर खमीर उठाकर बना घोल आदि। इससे विटामिन बी, ताकत और अच्छे माइक्रोऑर्गेनिजम मिलते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसके अलावा मां के लिए जरूरी बी 12 मिलता है। इस वक्त में प्रोसेस्ड फूड नहीं खाकर घर पर बने अचार, इडली-डोसे का घोल, आटे या सूजी को रात भर छाछ में भिगोकर उसका चीला खाएं, ताकि सेहत बेहतर रहे। फर्मेंटेड फूड में हम अक्सर दाल और चावल लेते हैं जैसे इडली या डोसे में भी इसका ही प्रयोग होता है। यदि अचार बनाते हैं तो मसालों का इस्तेमाल करते हैं। इन कॉम्बीनेशन से फर्मेंटेड और भी बेहतर हो जाता है।

फर्मेंटेशन के बाद खाना पाचन चंत्र को बेहतर बनाता है। इसमें जो लाइव माइक्रोऑर्गेनिजम आ जाते हैं, वह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। वास्तव में वह हमारे स्टमक की क्षमता को बढ़ाते हैं और सारी बीमारी पेट से शुरू होती है। जब पेट अच्छा होगा तो रोग अपने आप दूर होगा। फर्मेंटेशन से विटामिन बी 6, 12 और विटामिन सी अपने आप खाने में ज्यादा हो जाता है। फर्मेंटेड फूड अन्य भोजन की अपेक्षा हल्के होते हैं, जो पाचन और ऊर्जा दोनों के ही मान से बेहतर होते हैं।

इसके अलावा पहले चटनी का भी बहुताय से इस्तेमाल होता था। तिल की चटनी, धनिए की चटनी, मूंगफली की चटनी, चने से बनी चटनी, दक्षिण भारत में बनने वाली चटनियां अपने आहार में शामिल करें। जब भी खाना खाएं इनमें से कुछ न कुछ खाने में शामिल करें। घर में सौंफ, मिश्री, लौंग, इलायची, जीरा, राई का खाने में बहुत उपयोग करें क्योंकि इसमें मौजूद माइक्रोन्यूट्रीन्ट्स शरीर को ताकत देते हैं और पाचन तंत्र व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाते हैं। दालों से बहुत प्रोटीन मिलता है और इसे भी आहार का हिस्सा बनाएं। कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान दालों से एसिडिटी या गैस बनने लगती है। पर आप दाल खाना छोड़ें नहीं,बल्कि दाल को 14 से 16 घंटे भिगोकर रखें और जब दाल पकाएं तो जिस पानी में भिगोया है, उस पानी को फेंक दें और दूसरे पानी में पकाएं। दाल पकाते वक्त उसमें हींग, जीरा और घी में ही पकाएं। दूध पर्याप्त मात्रा में मिल रहा है, इसलिए दूध-दही जरूर खाएं।


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