GALAXY HOSPITAL कांड: कलेक्टर की भूमिका पर सवाल, 17वें दिन FIR के आदेश - JABALPUR NEWS

जबलपुर
। GALAXY HOSPITAL ऑक्सीजन कांड में 5 मरीजों की मौत के बावजूद मामले को दबाने का पूरा प्रयास किया गया। जो जांच रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर आ जानी चाहिए थी वह 16 दिन तक दबा कर रखी गई। पत्रकारों एवं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ द्वारा आपत्ति उठाई जाने पर 17वें दिन FIR के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

GALAXY HOSPITAL JABALPUR कोरोना के इलाज के लिए प्रतिबंधित

जांच रिपोर्ट के बाद प्रभारी CMHO डॉक्टर संजय मिश्रा ने जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार CMHO डाॅक्टर मिश्रा ने अस्पताल में तत्काल कोविड के नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है। वहीं अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज संबंधी अनुमति भी निरस्त कर दी गई है। वर्तमान में जो भी कोविड के मरीज भर्ती हैं, उनका उपचार करने के बाद डिस्चार्ज करने का आदेश दिया गया है।

कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट को 16 दिन तक रोक कर रखा

22 अप्रैल की देर रात दो बजे के लगभग गैलेक्सी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन समाप्त होने के चलते पटेल नगर निवासी अनिल शर्मा (49), विजय नगर निवासी देवेंद्र कुररिया (58), गाडरवारा नरसिंहपुर निवासी गोमती राय (65), नरसिंहपुर निवासी प्रमिला तिवारी (48) और छिंदवाड़ा निवासी आनंद शर्मा (47) की मौत हो गई थी। इस मामले में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने संयुक्त कलेक्टर शाहिद खान की अगुवाई में जांच समिति गठित की थी। कलेक्टर ने 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी थी परंतु 16 दिन बाद रिपोर्ट पर कार्रवाई की।

GALAXY HOSPITAL मैनेजमेंट से कलेक्टर ने 25 लाख रुपए डोनेशन रेडक्रॉस को दिलाया

GALAXY HOSPITAL ऑक्सीजन कांड के बाद और जांच रिपोर्ट आने से पहले हॉस्पिटल के मैनेजमेंट ने रेड क्रॉस को ₹250000 का डोनेशन दिया। बताया जा रहा है कि यह सब कुछ कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा की जानकारी में और सहमति से हुआ। कुछ स्थानीय पत्रकारों ने मामले को दबने नहीं दिया और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सवाल उठाए तब कहीं जाकर जांच और कार्रवाई की बारी आई।

गैलेक्सी हॉस्पिटल में 5 CORONA मरीजों की मौत क्यों हुई, जांच प्रतिवेदन

अस्पताल में स्वीकृत संख्या से अधिक संख्या में मरीजों को भर्ती किया गया था।
अस्पताल में रात्रि के समय कोई जिम्मेदार मैनेजर नहीं था।
ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए नियुक्त ऑक्सीजन सुपरवाईजर प्रशिक्षित नहीं था।
ऑक्सीजन के समय जब संक्रमित तड़पने लगे तो बजाय मदद के वहां मौजूद डॉक्टर व स्टाफ भाग गए।
इन कारणों के चलते ही अस्पताल में भर्ती पांच संक्रमितों की मौत हुई थी। 

17वें दिन पेश की गई रिपोर्ट

22 अप्रैल की देर रात अस्पताल में ऑक्सीजन समाप्त हो गई थी। सांस लेने में कठिनाई के बाद पांच मरीजों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया था। कलेक्टर ने समिति गठित कर 24 घंटे में घटना की जांच करने की बात कही थी, लेकिन 16 दिन तक खामोश रहे। इस बीच अस्पताल की ओर से रेडक्रास को 25 लाख रुपए दान दे दिया गया। 17वें दिन रविवार को किरकिरी के बाद देर रात रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई।

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