SATNA में जिला न्यायाधीश की कोरोना से मौत, अंतिम संस्कार हेतु लकड़ियां तक नहीं मिलीं - MP NEWS

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सतना।
मध्यप्रदेश के सतना जिले में जिला न्यायालय में पदस्थ अपर सत्र न्यायाधीश (ADJ) की कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि मृत्यु का कारण संक्रमण से ज्यादा इलाज में लापरवाही है। प्रशासन की अमानवीय देखिए एडीजे के निधन के बाद श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां तक नहीं दी गई।

अस्पताल में ADJ को स्ट्रेचर, व्हील चेयर नहीं दिया

बताया गया कि 108 एंबुलेंस का स्टाफ कोरोना पॉजिटिव ADJ को गंभीर हालत में लेकर बुधवार दोपहर 3.45 बजे ट्राॅमा यूनिट में बनाए गए इंफेक्सियम डिसीज कंट्रोल वार्ड पहुंचा। वहां पर न्यायाधीश को वार्ड में शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर, व्हील चेयर तक नहीं मिली। ऊपर से मौके पर मौजूद स्टाफ नर्स, वार्ड ब्यॉय ने पूछने पर भी नहीं बताया कि स्ट्रेचर और व्हील चेयर कहां है।

वार्ड में ड्यूटी डॉक्टर नहीं था, नर्स ने इमरजेंसी के केस को OPD में भेज दिया

एंबुलेंस का स्टाफ 20 मिनट की मशक्कत के बाद व्हील चेयर पर न्यायाधीश को बैठाकर वार्ड लेकर पहुंचा तो वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। स्टाफ नर्स बोली कि उन्हें ओपीडी लेकर जाओ वहां पर्चा कटवाओ और डॉक्टर से लिखवाकर लाओ कि कहां दाखिल करना है। तब तक न्यायाधीश के परिजन पहुंच गए। उनके अनुरोध के बाद न्यायाधीश को वार्ड में दाखिल किया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

नगर निगम ने अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां देने से मना कर दिया

बताया गया कि न्यायाधीश के परिजन गुरुवार सुबह 9 बजे नारायण तालाब स्थित मुक्तिधाम पहुंचे तो अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी देने तक से मना कर दिया गया। आरोप है कि नगर निगम प्रशासन ने असंवेदनशील व्यवहार दिखाते हुए कहा कि हमारे पास लकड़ी नहीं है। आपको खुद लकड़ी का इंतजाम करना होगा। ऐसे में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए खड़ी कोलगवां पुलिस ने आनन-फानन में लकड़ी का इंतजाम किया। तब कहीं जाकर कोरोना से जज के शव का का अंतिम संस्कार किया गया।

सतना ADJ की मौत के लिए CMHO जिम्मेदार: वकीलों ने कहा

अधिवक्ताओं का स्पष्ट आरोप है कि ADJ की मौत का कारण अकेला कोरोना नहीं बल्कि कोरोना इलाज में जिले के जिम्मेदार डॉक्टर्स की लापरवाही है। इसके सीधे दोषी CMHO हैं। जब एक जज के इलाज में ऐसी लापरवाही हुई तो आमजन के इलाज में क्या हो रहा होगा। जब जज होम आइसोलेट थे तो शासन के चिकित्सा प्रोटोकॉल के अनुसार जज से टेलीमेडिसिन से वीडियो कॉल पर निगरानी क्यों नही की गई। क्यो नहीं प्रतिदिन जज के विभिन्न पैरामीटर की जानकारी ली गई। अगर हालात नहीं सुधर रहे थे उच्च संस्थान में रेफर क्यों नहीं किया?

सतना में कोविड-19 पॉजिटिव न्यायधीश को भी भगवान भरोसे छोड़ दिया था

आरोप है कि जज को यहां के चिकित्सा सिस्टम ने भगवान भरोसे छोड़ दिया। आगे और गजब ये रहा कि अस्पताल में जब जज पहुंचे तो वहां डॉक्टर तक नहीं मिले। नर्सिंग स्टाफ इलाज छोड़ पर्चा-पर्चा खेलने लगीं। ये सब तब था जब CMHO को बोल कर जज ने खुद एंबुलेंस बुलवाई। मतलब हद दर्जे की लापरवाही हुई और अंत में दुःखद समाचार मौत के रूप में सामने आया। रही कसर नगर निगम ने अंतिम संस्कार में पूरी कर दी। जहां उनको अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी तक नहीं दे पाए।

अस्पताल में जज की लाश लाई गई थी: सिविल सर्जन डॉ. सुनील कारखुर ने कहा

सतना जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. सुनील कारखुर ने कहा कि जज पहले नार्मल थे। वे अपना काम भी करते थे। ऐसे में उन्हें होम क्वारैंटाइन किया गया था। जज की दोपहर 3 बजे अचानक से तबीयत खराब हुई थी। वे खून की उल्टियां किए थे। जब अस्पताल में लाया गया था, तब उनकी मौत हो गई थी। इलाज में अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई देरी नहीं की गई।

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