CORONA संदिग्ध तड़पता रहा, भर्ती नहीं किया, मंदिर के बाहर तख्त पर छटपटाते हुए दम तोड़ा - SHIVPURI MP NEWS

ललित मुद्गल/ शिवपुरी।
बेहद गंभीर स्थिति में तड़प रहे कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीज को जिला चिकित्सालय में भर्ती नहीं किया गया। चिंताहरण मंदिर के बाहर एक तख्त पर छटपटाते हुए उसने दम तोड़ दिया। मरीज कोई गरीब और अशिक्षित नहीं बल्कि छिंदवाड़ा का रहने वाला उच्च शिक्षित व्यक्ति था। करेरा में पदस्थ अपनी भाभी पटवारी मिशल भारती के पास आया था। पूरे घटनाक्रम के दौरान महिला पटवारी उसके साथ थी।

तबीयत खराब होने के बाद भी भर्ती नहीं किया, कोविड-19 सैंपल लेकर वापस भेज दिया

शिवपुरी जिले के करैरा तहसील में पदस्थ पटवारी मिशल भारती ने बताया कि छिंदवाड़ा निवासी उनके देवर मंजय भारती को मंगलवार को सीने में दर्द होने पर वह एक निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे। जहां उन्हें इलाज करने के बाद थोड़ा आराम मिल गया और वहां के डॉक्टरों ने कोविड जांच कराने के लिए कहा और कल परिजन मंजय भारती को लेकर शिवपुरी जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल पहुंचे। उस समय उसकी हालत खराब थी। डॉक्टरों ने कोविड-19 की जांच के लिए सैंपल कलेक्ट किया और वापस घर भेज दिया। हालत खराब होने के बावजूद उसे भर्ती नहीं किया गया। 

महिला पटवारी 2 घंटे तक डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाती रही लेकिन भर्ती नहीं किया

आज सुबह अचानक मंजय भारती को घबराहट होने लगी और सांस लेने में भी तकलीफ थी। इस कारण वह सुबह जिला अस्पताल पहुंचे। पटवारी मिशल भारती 2 घंटे तक डॉक्टरों के पास इलाज के लिए गिड़गिड़ाती कर रही लेकिन डॉक्टरों ने इलाज शुरू नहीं किया।

कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीज ने हनुमान मंदिर के बाहर तड़पते हुए दम तोड़ा

जब सारी उम्मीदें टूट गई तब पीड़ित मंजय भारती ने अपने घर छिंदवाड़ा वापस जाने की इच्छा जताई। पटवारी मिशल भारती ने तुरंत करें कार में बिठाया और झांसी की तरफ रवाना हो गई लेकिन शहर की सीमा से बाहर निकलने से पहले ही चिंताहरण मंदिर के पास पीड़ित की तबीयत बिगड़ गई। खुली हवा में शायद कुछ राहत मिल जाएगी इस उम्मीद के साथ उन्हें कार से नीचे उतारकर मंदिर के पास पड़े तख्त पर लिटाया गया। वहां मौजूद लोगों ने देखा पटवारी मिशल भारती अपनी साड़ी के पल्लू से उन्हें हवा कर रही थी। इसी दौरान तड़पते हुए उनके देवर ने दम तोड़ दिया।

हमारे डॉक्टरों ने किसी को मना नहीं किया: सिविल सर्जन

मृतक के परिजनों के आरोप गलत हैं। हमने दो दिन का अवकाश होने के बाद भी इमरजेंसी और ओपीडी चालू रखी है। अस्पताल में इतनी भीड़ भी नहीं है कि कोई डॉक्टर मरीज को देखने से इंकार कर दें। परिजन अगर उनसे मिलकर पूरी डिटेल उनको देते हैं, तो वह इस मामले को दिखवाएंगे।
डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर, सिविल सर्जन शिवपुरी

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