भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अपने आधिकारिक वक्तव्य में बताया कि कोविड-19 महामारी के मामले में मध्य प्रदेश की स्थिति संतोषजनक है क्योंकि संक्रमित हुए 108167 नागरिकों में से मात्र 22542 नागरिक ही अस्पतालों में भर्ती हैं। यानी मात्र 20% लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। इसका दूसरा तात्पर्य यह निकलता है कि शेष लोग स्वस्थ होकर अपने दैनिक जीवन में लौट चुके हैं। बड़ी ही चतुराई के साथ उन्होंने इस बात को छुपा लिया कि 2007 नागरिकों की दुखद मृत्यु हो गई है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटे में 37 नागरिकों की दर्दनाक मौत हुई। 2523 लोग इलाज कराने के लिए अस्पतालों में भर्ती हुए जबकि मात्र 2244 लोगों को अस्पतालों से डिस्चार्ज किया जा सका।
MADHYA PRADESH CORONA BULLETIN 21 SEPTEMBER 2020
संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं, मध्य प्रदेश द्वारा जारी कोरोनावायरस मीडिया बुलेटिन दिनांक 21 सितंबर 2020 (शाम 6:00 बजे तक) के अनुसार पिछले 24 घंटे में:-
21783 सैंपल की जांच की गई।
131 सैंपल रिजेक्ट हो गए।
19260 सैंपल नेगेटिव पाए गए।
2523 सैंपल पॉजिटिव पाए गए।
37 मरीजों की मौत हो गई।
2244 मरीज डिस्चार्ज किए गए।
मध्यप्रदेश में संक्रमित नागरिकों की कुल संख्या 108167
मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 2007
मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से स्वस्थ हुए नागरिकों की संख्या 83618
21 सितंबर 2020 को संक्रमित नागरिकों की संख्या 22542
21 सितंबर 2020 को मध्यप्रदेश में संक्रमित इलाकों की संख्या 8400
सबसे पहले सरकार और नेताओं को बदलना होगा
इंदौर में एक प्राइवेट अस्पताल में कोरोनावायरस से पीड़ित मरीज के शव को चूहे कतर गए जबकि प्रोटोकॉल के अनुसार कोरोनावायरस से पीड़ित मरीज का शव एयरटाइट पैक करके रखा जाता है।
विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि भोपाल के एक श्मशान घाट में कोरोनावायरस से मरने वाले मरीजों को लकड़िया नहीं दी जा रही क्योंकि मरने वाला व्यक्ति भोपाल का नागरिक नहीं है।
गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि संक्रमण से बचने के लिए आम जनता को अपनी जीवनशैली बदलनी होगी। बड़ा प्रश्न यह है कि सरकार के मंत्री और नेता अपनी जीवनशैली कब बदलेंगे।
आम नागरिक हमेशा सरकार की तरफ देखती है। संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की नागरिकों ने उसका पालन किया। आगे भी पालन करने के लिए वचनबद्ध हैं परंतु यदि सरकार के मंत्री और नेता गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए दिखाई देंगे तो आम जनता से किसी भी प्रकार के अनुशासन की उम्मीद करना गलत होगा।
चुनाव हजारों नागरिकों की जान से ज्यादा जरूरी नहीं हो सकते। नियम-कायदे बदले जा सकते हैं। यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हजारों की भीड़ को संबोधित करने का लालच छोड़ दें तो विपक्षी पार्टी के कमलनाथ को भी गाइडलाइन का पालन करना ही होगा।