जबलपुर, 18 दिसंबर 2025: मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण को लेकर चल रहा कानूनी विवाद अभी भी जारी है। आज 18 दिसंबर 2025 को जबलपुर हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के सामने मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2025 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने लंबी बहस की और अपना पक्ष पूरा कर लिया।
मध्य प्रदेश के आरक्षण नियम में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं
वैद्यनाथन ने कोर्ट को बताया कि ये नए नियम सुप्रीम कोर्ट के जर्नैल सिंह केस में दिए अंतरिम आदेशों और अन्य मार्गदर्शी सिद्धांतों के पूरी तरह अनुरूप हैं। इसलिए हाईकोर्ट का इनमें हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं है। खासकर SC/ST पर creamy layer का प्रावधान न होने के याचिकाकर्ताओं के तर्क को उन्होंने खारिज करने लायक बताया, क्योंकि संसद ने ऐसा कोई कानून नहीं बनाया और न ही राज्य सरकार ने। संविधान के अनुच्छेद 16(4A) और 16(4B) में भी creamy layer का कोई जिक्र नहीं है। इंद्रा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने भी SC/ST पर creamy layer लागू करने का निगेटिव व्यू दिया था। कोर्ट या हाईकोर्ट को खुद ऐसा कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
याचिकाओं में पब्लिक का कोई इंटरेस्ट नहीं
सरकार ने ये भी तर्क दिया कि ज्यादातर याचिकाकर्ता डेपुटेशन पर दूसरे विभागों में पोस्टेड हैं और प्रमोशन नहीं चाहते, क्योंकि प्रमोशन हुआ तो उन्हें मूल विभाग वापस जाना पड़ेगा। इसलिए इन याचिकाओं को पब्लिक इंटरेस्ट पिटिशन की तरह ट्रीट नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि सर्विस मैटर में व्यक्तिगत रूप से प्रभावित व्यक्ति ही याचिका दायर कर सकता है, वो भी नियम लागू होने के बाद। अभी तो नियम लागू ही नहीं हुए, तो याचिकाकर्ता कैसे प्रभावित हो गए?
अब आगे क्या होगा
बहस खत्म करने के बाद अजाक्स संघ और हस्तक्षेपकर्ताओं की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर से कोर्ट ने पूछा कि कितना समय लगेगा। उन्होंने कहा कम से कम एक घंटा। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को दोपहर 12 बजे फिक्स कर दी।
हाई कोर्ट ने नियम के पालन पर अंतरिम स्थगन लगा रखा है
ये मामला जून 2025 में नोटिफाई हुए नए प्रमोशन रूल्स को चैलेंज करने वाला है, जिनमें SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान है। इससे पहले जुलाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पुराने 2002 रूल्स और नए रूल्स में फर्क स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन संतुष्ट न होने पर प्रमोशन पर अंतरिम स्टे लगा दिया था। उसके बाद कई सुनवाई हुईं, नवंबर में याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनी गईं और अब सरकार का पक्ष पूरा हो गया। कर्मचारियों में उम्मीद है कि जल्द फैसला आए, क्योंकि 2016 से प्रमोशन प्रक्रिया रुकी हुई है और हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो चुके हैं।
ये केस लंबे समय से चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों से जुड़ा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST में creamy layer लागू करने के मुद्दे पर कहा है कि ये फैसला सरकार और विधायिका का है, कोर्ट खुद दखल नहीं देगा। मध्य प्रदेश में अभी तक प्रमोशन पर स्टे लगा हुआ है, इसलिए कोई डिपार्टमेंट प्रमोशन नहीं कर पा रहा। अगली सुनवाई में हस्तक्षेपकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद शायद अंतिम बहस हो और फैसला reservation in promotion पर स्पष्ट हो जाए।
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