अतिथि शिक्षक की मौत पर सीएम शोक तक नहीं जताते, कितने विकट हालात हैं / Khula Khat

आदरणीय महोदय जी, सादर नमस्कार, मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है परंतु कहीं न कहीं आजकल की पत्रकारिता भी स्वार्थ से प्रेरित नजर आती है जो तथ्य और सत्य अपने फायदे के हिसाब से प्रकाशित करती है ऐसा लगता है सारे देश के मीडिया को सुशांत सिंह के न्या‍य की ज्या‍दा फिक्र है जबकि म.प्र के अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वानों की आर्थिक विपन्नता बीमारी से रोज हो रही मौतों पर सरकार सीएम मीडिया सब मौन साधे है। 

सीएम शिवराज सिंह रोज अन्य मुद्दों पर शोक, बधाई, चिंता जाहिर करते है पर अपने लगाये गये पौधे जिसको म.प्र मे अतिथिशिक्षक कहा जाता है उसके भविष्य और मृत्यु् पर मौन हैं। 2018 चुनाव के बाद से अब तक 50 से ज्यादा अतिथि शिक्षक/अतिथि विद्वान आत्महत्याएं कर चुके हैं, परंतु बात बात पर अपनी संवेदनशीलता प्रदर्शित करने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान अतिथि शिक्षकों की मौत पर शोक तक नहीं जताते। मप्र मे जनता से जुड़े मुद्दे पर भोपाल समाचार ही लगातार आवाज बुलंद करता रहा है बाकी सब आया गया करने मे लगे हैं। 

अभी जीतू पटवारी जी एवं सज्जन सिंह वर्मा जी ने प्रदेश सरकार पर सवाल उठाये है जो पूरी तरह सही है वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया जी पर भी जनता को छलने और अतिथि शिक्षकों, अतिथि विद्वानों के नाम पर अपने राजनैतिक हित साधने का आरोप लगाया है जो पूरी तरह बेबुनियाद नहीं है। इसी तारतम्य मे जनता से जुड़े कुछ मुद्दो पर सरकार की क्या राय है सरकार को जनता को स्पष्ट, करना चाहिए।

1. शिवराज सिंह चौहान जी ने घोषणा की है म.प्र की नौकरियों मे म.प्र वालों को प्राथमिकता क्या नियमानुसार यह संभव है। या चुनावी जुमला है आपके अन्‍य जुमलों की तरह। जबकि आपकी पिछली सरकारों ने म.प्र की भर्तियों मे अन्‍य राज्‍यों को भरपूर मौका देकर प्रदेश के सामान्‍य वर्ग को छला।

2. 11 मई 2013 रायसेन अंत्योदय मेले मे शिवराज जी ने घोषणा की थी तीन वर्ष कार्य करने वाले अतिथिशिक्षक संविदा बनाये जायेंगे आज 50 से ज्यादा अतिथिशिक्षक काल के आहार बन चुके है। 12 साल से प्रदेश मे अल्प मानदेय मे सेवा दे  रहे अतिथिशिक्षक जो शिवराज जी की झूठी घोषणाओं के आधार पर लगे रहे आनलाइन भर्ती के नाम पर बाहर किए गए क्या शिवराज जी जो अतिथिशिक्षक 5-10 साल सेवा दे चुका है डीएड, बीएड है पात्रता परीक्षा पास है उसको भी नियमित नही किया जा सकता यदि ऐसे अतिथिशिक्षक भी नियमित होने के पात्र नहीं है तो मेरे ख्याल से विधायक सांसद भी पद खत्म् होने के बाद किसी सुविधा के पात्र नही होने चाहिए।

3. जून 2018  मे मंडला दौरे पर सीएम शिवराज जी घोषणा करते है 5 एकड़ भूमि वालों को संबल लाभ दिया जाएगा आदेश सिर्फ 2.5 एकड़ तक के है जबकि 2018 मे सीएम खुद अपने ट्विटर व सोशल मीडिया से यह बताते है कि 5 एकड़ तक संबल लाभ मिलेगा।

4. सीएम शिवराज 2018 मे कई न्यूज चैनल  पर  संविदाकर्मियों के नियमितिकरण का बयान देते है व बाद मे लीपापोती करके 5 जून 2018 की संविदा नीति बनाते है जिसका लाभ भी आज तक नही मिला संविदाकर्मी इसे पाने के लिए सोशल मीडिया से अपनी बात रख रहे है।

5. पिछली शिवराज सरकार के राजपत्र मे म.प्र स्कूल शिक्षा विभाग में 60 हजार पद माध्यमिक शालाओं मे रिक्त बताये जाते है व 1 लाख से अधिक प्राथमिक विधालयों मे पर अब जब भर्ती हो  रही है तो वर्ग 2 सामाजिक वि‍ज्ञान के 60 व विज्ञान के 50 पद क्या 9 साल तक प्रदेश के शासकीय विधालयों मे शिक्षक भर्ती न कर पाना पिछली शिवराज सरकार की कमी नहीं है।

6. व्यापम भर्ती परीक्षा 2011 मे सरकार डीएड, बीएड नहीं करने वालों से आवेदन लेकर मोटी कमाई करती है फिर भर्ती प्रक्रिया को लेट करती है जिसके कारण जो नान डीएड, बीएड टॉपर थे वो भर्ती से वंचित रहते है क्योंकि 2 साल भर्ती लेट करने से 2010,11,12 डीएड का रिजल्ट आ जाता है।

7. मप्र में इग्नू दो वर्षीय पत्राचार कोर्स डी.एल.एड म.प्र मे आईसेक्ट भोपाल के साथ शुरू करती है जिसको 5 साल बाद 2016 मे पूरा कराती है जिसके कारण कई छात्र ओवरएज हो जाते है सरकार ने कोर्स जल्द‍ पूरा करवाने हेतु कोई प्रयास नहीं किया।

इसी प्रकार बीजेपी के नये नेता श्रीमंत ज्योतिरादित्य जी जो अतिथि शिक्षकों को कांग्रेस मे रहते सरकार आने पर सरस्‍वती को सम्मान देने का आश्वासन देते है कांग्रेस सरकार के रहते कोई सफल प्रयास नहीं करते है और अतिथिशिक्षक मुद्दे पर सरकार से गतिरोध के आधार पर सरकार गिरा देते है परंतु अतिथि शिक्षक म.प्र जिसे आपने उसकी ढाल और तलवार होने का वचन दिया था उसे मई, जून, जुलाई का मानदेय नही मिला है। 

50 से ज्यादा अतिथि शिक्षक काल के गाल मे चले गए है 6 माह हो गए है इस सरकार को आपने कोई पत्राचार या बयान ऐसा नहीं दिया जिससे प्रदेश के अतिथिशिक्षकों पर सरकार का ध्यान जाए जबकि दिनभर आपके ट्विटर पर भी कोरोना पीडि़त नेताओं से सहानुभूति, शोक, बधाई के संदेश दिखाई पड़ते है मगर सिंधिया और शिवराज दोनों ही अतिथिशिक्षकों के मुद्दे पर राजनीति कर रहे है कांग्रेस के ये बयान तथ्यतहीन दिखाई नहीं पड़ते क्योंकि ये नेता अब उपचुनाव साधने मे लगे है।
सादर धन्‍यवाद
आशीष बिलथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र

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