भोपाल: मंत्रालय में कार्यरत महिला कर्मचारी रेप केस दर्ज कराने के बाद लापता / BHOPAL NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित वल्लभ भवन में जॉब करने वाली एक महिला कर्मचारी लापता है। 21 अगस्त को उसने बलात्कार का मामला दर्ज कराया था, पुलिस इन्वेस्टिगेशन के दौरान वह गायब हो गई। उसके साथ क्या हुआ, वह जिंदा है या नहीं पुलिस के पास इस तरह के किसी भी सवाल का जवाब नहीं है।

ऑफिस ले जाने वाले ऑटो ड्राइवर ने महिला कर्मचारी का रेप किया: FIR

मामला भोपाल के निशातपुरा थाने का है। इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर उर्मिला यादव ने बताया कि 37 वर्षीय महिला वल्लभ भवन में प्राइवेट जॉब करती है। 21 अगस्त को उसने ज्यादती का मामला दर्ज कराया। महिला ने बताया कि उसने करीब 2 साल पहले ऑफिस जाने के लिए एक ऑटो लगवाया था। ऑटो ड्राइवर रमेश कुशवाहा उसे रोजाना ऑफिस ले जाता था। बातों में फंसाकर वह 6 अगस्त को अपने साथ आशियाना कॉलोनी बैरसिया रोड पर स्थित एक मकान में ले गया। यहां उसके साथ ज्यादती की गई। किसी को बताने पर आरोपी ने उसे धमकी भी दी थी। पहले तो चुप रही, लेकिन बाद में उसने हिम्मत करके FIR दर्ज कराने का फैसला किया।

पुलिस इन्वेस्टिगेशन के दौरान रेप पीड़िता ने मोबाइल बंद किया और गायब हो गई

इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर उर्मिला यादव का कहना है कि मामला दर्ज कराने के बाद इन्वेस्टिगेशन के दौरान महिला सवालों के ठीक प्रकार से जवाब नहीं दे पा रही थी। वह घटनास्थल की डिटेल्स नहीं दे पाई। इसी दौरान उसने बताया कि उसे टाइफाइड हो गया है और वह हॉस्पिटल में एडमिट है लेकिन उसने हॉस्पिटल का नाम नहीं बताया। इसके बाद उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। पुलिस के पास अब महिला के बारे में कोई इंफॉर्मेशन नहीं है। पुलिस को सिर्फ इतना पता है कि वह बजरिया क्षेत्र में रहती थी।

भोपाल पुलिस की तरफ उंगली उठाते अनसुलझे सवाल 

बलात्कार जैसे गंभीर मामले में पुलिस ने पीड़ित महिला की पूरी जानकारी दर्ज नहीं की।
पुलिस को सिर्फ इतना पता है कि वह वल्लभ भवन में प्राइवेट जॉब करती थी परंतु उसके नियोक्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
किसी भी FIR में पीड़ित महिला का नाम व पूरा पता दर्ज किया जाता है, परंतु इस मामले में पुलिस रिकॉर्ड में पूरा पता, लापता है।
मध्य प्रदेश पुलिस की एक कॉमन प्रैक्टिस होती है, सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति का वेरिफिकेशन किया जाता है। यह ऑफिशियल नहीं होता परंतु बातों-बातों में उसका घर परिवार, पास-पड़ोसी, रिश्ते-नाते सब पता कर लिए जाते हैं। लेकिन इस मामले में भोपाल पुलिस की हालत 'क्राइम पेट्रोल' वाली फिल्मी पुलिस जैसी हो गई है।

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