मध्य प्रदेश में 450 हड़ताली डॉक्टरों के नामांकन रद्द - MP NEWS

जबलपुर।
 प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने 6 मई को उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार बाद में मुकर गई। जबलपुर हाईकोर्ट के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने के बाद इनके खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने मेडिकल कॉलेज के पीजी के फाइनल ईयर के 450 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल कर दिए हैं। प्रदेश में करीब एक हजार पीजी के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स हैं।  

मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा भेजे गए नामों पर जूनियर डॉक्टरों के नामांकन कैंसिल करने के लिए यूनिवर्सिटी को लिखा था। इसके बाद अब फाइनल ईयर के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। इस मुद्दे पर गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई। इसमें प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जूडा की मांगें नहीं मानी हैं। उन्होंने केवल आश्वासन दिया है। ऐसे में जूडा के पास हड़ताल के अलावा विकल्प नहीं था। दवाई और संसाधन नहीं होने पर भी जूडा ने मरीजों का उपचार किया। 

अरविंद मीणा का कहना है कि भोपाल जीएमसी जूडा के अध्यक्ष हरीश पाठक के परिजनों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है। छात्रों का एनरोलमेंट रद्द किया जा रहा है। ये सब सरकार के दबाव में किया जा रहा है। उनका कहना है कि जब तक सरकार मांग नहीं मानती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। मेडिकल टीचर संघ भी जूडा को समर्थन दिया है। मांगें पूरी नहीं होने पर मेडिकल टीचर्स भी हड़ताल पर जाने का संकेत दिया है।

इसके बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज से पीजी स्टूडेंट्स विरोध में उतर आए हैं। पीजी के फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर के छात्रों ने सामूहिक रूप से इस्तीफे की पेशकश की है। प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का गुरुवार को चौथा दिन है। इधर, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी बात रखते हुए जूडा को कानून के अनुसार कार्रवाई करने की चेतावनी भी दे दी है।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त निशांत बरवड़े ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड बढ़ाने की कार्रवाई चल रही है। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा मंत्री पहले ही जूनियर डॉक्टरों को आश्वासन दे चुके हैं। समय-समय पर उनकी वाजिब मांगों पर कार्रवाई की जाती है। इसके बावजूद जूनियर डॉक्टर अपनी बातों पर अड़े हुए हैं। उन्होंने साफ कहा कि कानून सभी लोगों के लिए बनाए जाते हैं। जिसका सभी को पालन करना जरूरी है। इस मामले में अब कानून की अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, जूडा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरविंद मीणा का कहना है कि जूनियर डॉक्टर हड़ताल करना ही नहीं चाहते। सरकार की तरफ से ना तो हमारी मांगों पर चर्चा के लिए बुलाया गया और ना ही कोई बातचीत की गई। हमारा कहना है कि सरकार हमारी मांगों पर आदेश जारी करें। हम हड़ताल खत्म कर देंगे

वहीं, जूनियर डॉक्टरों को अब बाहर से मेडिकल डॉक्टर्स एसोसिएशन समेत अन्य राज्यों के डॉक्टर एसोसिएशन का समर्थन मिल रहा है। इसके पहले मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और एमबीबीएस छात्रों ने भी समर्थन दिया था। सभी ने सरकार से जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की मांगों को मानने की अपील की है।

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