BETUL के एक गांव में 30 दिन में 22 लोगों की संदिग्ध मौत - MP NEWS

बैतूल।
मध्य प्रदेश के बैतूल जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर हरदा रोड पर है। इस गांव में हुई मौतों का आंकड़ा इसलिए परेशान कर रहा है क्योंकि सभी ग्रामीणों की मौतें एक महीने के भीतर हुई है। इनमें 5 से 7 फीसद लोगों की जान कोरोना संक्रमण से होना सामने आया है बाकी मौतों का कारण रहस्य बना हुआ है। 

जिले में सर्वाधिक मौतें इसी गांव में हुई हैं। कुछ गांव ऐसे हैं जहां 7 से 12 मौतें हो चुकी हैं। एक के बाद एक मौतों से ग्रामीणों में भय है। चिंता की बात यह है कि ग्रामीण अंचलों के हर घर में कोई न कोई बीमार है। तब भी लोग जांच और वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं।

ग्रामीण पर्वतराव धोटे ने बताया कि 2 अप्रैल को सरस्वती पत्नी रामराव सोनारे की मौत हुई थी तब से लेकर मंगलवार तक 22 लोग जान गंवा चुके हैं। 3500 की आबादी है। एक ही महीने के भीतर 22 ग्रामीणों की मौत ने चिंता में डाल दिया है। हर दूसरे घर में कोई न कोई सदस्य बीमार है। जिन्हें जांच कराने व वैक्सीन लगवाने के लिए जागरुक कर रहे हैं। घटनाएं बढ़ी तो सभी ग्रामीणों ने मिलकर स्वेच्छा से कोरोना कर्फ्यू लगाया है।

वर्जन
मेरे गांव में 22 ग्रामीणों की मौतें हुई हैं। कुछ की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। बाकी जांच कराते उसके पहले ही शांत हो गए। हम स्वास्थ्य विभाग की टीम बुलवाकर लगातार जांच करवा रहे हैं। ग्रामीणों को समझाइश दे रहे हैं।
गीता धोटे, उपाध्यक्ष जनपद पंचायत, बैतूल

जिन 22 ग्रामीणों का निधन हुआ है उनमें मेरे पिता साहेबराव धोटे भी शामिल हैं। उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था। गांव की स्थिति ठीक नहीं है। एक-एक घर का सर्वे करना चाहिए, प्रत्येक बीमार की कोरोना जांच होनी चाहिए। वैक्सीनेशन सभी के लिए अनिवार्य हो। ग्रामीणों में भ्रम को दूर करना चाहिए।
मनोज धोटे, ग्रामीण बोरगांव

बोरगांव ही अकेला गांव नहीं है जहां अधिक मौतें हुई हैं। कुछ गांव और हैं, जहां अधिक मौतें हुई हैं। कुछ गांवों का सर्वे करा लिया है। जिनमें 5 से 7 फीसद मौतें कोरोना संक्रमण के कारण होना सामने आया है। बाकी के जिन ग्रामीणों का निधन हुआ है उनमें से कुछ गंभीर बीमार थे। उनका पूर्व से इलाज चल रहा था, कुछ उम्रदराज थे। इन सबके बीच कम समय में अधिक मौतें चिंता का विषय है। बोरगांव में भी सर्वे करेंगे।
अमनबीर सिंह बैंस, कलेक्टर बैतूल

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