क्या सिर्फ टॉपर्स ही IAS बन सकते हैं, UPSC EXAM में भाग ले सकते हैं - GK IN HINDI

बच्चों को बड़ा होकर क्या बनना है, यह पेरेंट्स डिसाइड करते हैं। करना भी चाहिए। इस प्रैक्टिस के दौरान पेरेंट्स कुछ ऐसी बातें करते हैं जिससे बच्चे का माइंडसेट बन जाए कि यदि उसे IAS बनना है तो हाई स्कूल से कॉलेज तक हमेशा टॉपर बने रहना होगा। जीतने के लिए यह माइंडसेट भी जरूरी है परंतु सिर्फ एक गड़बड़ हो जाती है। यदि बच्चा टॉप नहीं कर पाता तो पेरेंट्स और स्टूडेंट दोनों एक साथ होपलेस हो जाते हैं। फिर UPSC EXAM की तैयारी ही नहीं करते। 

क्या सिर्फ टॉपर्स ही UPSC EXAM में भाग ले सकते हैं

बहुत सारे लोगों को लगता है कि संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होने के लिए 90% से ज्यादा होना जरूरी है। वह सारी जिंदगी इसी भ्रम में रहते हैं। कभी कंफर्म ही नहीं करते। जबकि ऐसा नहीं है। आप ना केवल सिविल सेवा की परीक्षा में भाग ले सकते हैं बल्कि पास भी हो सकते हैं। पढ़ाई बहुत कठिन नहीं है, बस एक छोटी सी ट्रिक है, रेगुलर पढ़ना पड़ता है। कहानियां बहुत सारी है, उनमें से एक छोटी सी कहानी, जो अपने सवालों का जवाब देती है:-

IRS भारत आंधले की कहानी: टॉपर नहीं थे लेकिन आज टॉप पर हैं 

भारत आंधले महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में परिवार की प्रतिष्ठा बहुत बड़ा प्रश्न होती है। भारत आंधले पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। 10वीं हाई स्कूल में मात्र 53% अंक प्राप्त हुए। गणित और अंग्रेजी दोनों विषयों में कमजोर थे। भारत आंधले ने सोचा कि कॉलेज में आर्ट सब्जेक्ट से पढ़ाई करेंगे तो शायद कुछ अच्छे नंबर आ जाए लेकिन आर्ट में 50% से कम अंक प्राप्त हुए। 50% से कम अंक की ग्रेजुएशन वाली डिग्री के कारण SET/NET परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं मिला। 

कॉलेज में फेल होने के बाद लाइफ में पास होने के लिए क्या करें

दबाव काफी बढ़ गया था। ग्रेजुएशन हो जाने के बाद समझ नहीं आ रहा था कि लाइफ का क्या होगा। किस फील्ड में करियर बनाया जाए। एक टारगेट सेट हो गया था, किसी प्रतिष्ठित गवर्नमेंट सर्विस में जाना है। रास्ता तलाशने के लिए तो किसी ने बताया कि महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा दे सकते हैं। डूबते को तिनके का सहारा। एक दरवाजा खुला मिला था, पूरी ताकत लगा दी। नतीजा जो लड़का कॉलेज में 50% अंत नहीं ला पाया था वह महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा में पास हो गया।

जब बड़े लक्ष्य के लिए सब कुछ दांव पर लगा दे तो क्या होता है

भारत आंधले ने पहली बार जीत का स्वाद चखा था। काफी अच्छा लगा। पढ़ाई से लेकर रिजल्ट तक और रिजल्ट के बाद मिली बधाई हो तक भारत आंधले को यह जानने का मौका मिला कि उनके अंदर क्या खास है और वह क्या कर सकते हैं। भारत आंधले ने फैसला लिया कि राज्य प्रशासनिक सेवा नहीं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनेंगे। इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की नौकरी ज्वाइन नहीं की। घरवाले इतने नाराज हुए कि उन्होंने भारत आंधले को ना केवल गांव से निकाल दिया बल्कि जिंदगी में वापस कभी अपना चेहरा नहीं दिखाने के लिए वचनबद्ध किया।

क्या सफलता का अभिमान प्रदर्शन को प्रभावित करता है

भारत आंधले ने फैसला किया कि वह अपनी लाइफ को किसी इमोशनल ड्रामे का हिस्सा नहीं बनाएंगे बल्कि सफल हो कर दिखाएंगे। उन्होंने परिवार द्वारा किए गए बहिष्कार से पैदा हुए गुस्से का ऊर्जा की तरह उपयोग किया लेकिन इतनी उर्जा काफी नहीं थी। एक के बाद एक लगातार चार बार UPSC EXAM में असफल होते गए। एक बार फिर वही टर्निंग प्वाइंट आ गया। लाइफ का लास्ट चांस था। असफल हुए तो वापस गांव भी नहीं जा सकते थे। जब PSC में मिली सफलता का अभिमान चकनाचूर हो गया और ग्राउंड जीरो पर खड़े होकर  पूरी ताकत लगाई तो UPSC की परीक्षा भी निकाल ले गए। आज भारत आंधले ना केवल भारतीय राजस्व सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं बल्कि महाराष्ट्र के तमाम कोचिंग सेंटर्स में उनकी सफलता की कहानियां सुनाई जाती हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article 

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