मेडिकल स्टोर वाले को कैसे याद रहता है कौन सी दवा कहां रखी है, लोग तो मोबाइल रख कर भूल जाते हैं - GK IN HINDI

इस दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो हर रोज घर या ऑफिस में अपना मोबाइल रख कर भूल जाते हैं। आवश्यक उपयोग के सामान को कहीं भी रख कर भूल जाना, एक सामान्य मानव स्वभाव बन चुका है। लेकिन इसी समाज में कुछ वर्ग ऐसे हैं जो यह गलती कभी नहीं करते। मेडिकल स्टोर संचालक भी उनमें से एक है। वह कभी नहीं भूलता की कौन सी दवाई कहां रखी है। मजेदार बात यह है कि वही व्यक्ति कई बार यह भूल जाता है कि उसका वॉलेट कहां रखा है। सवाल यह है कि उसे कैसे याद रहता है कौन सी दवा कहां रखी है। 

कैसे याद रखें कौन सी चीज कहां रखी है 

यह दुनिया का सबसे सरल तरीका है। इसकी शुरुआत में थोड़ी सी सजगता और श्रम है लेकिन अंत में काफी आराम है। हर व्यक्ति अपनी रूचि और सुविधा के अनुसार किसी भी पद्धति का उपयोग करता है। लेकिन चीजों को सिस्टमैटिक स्टोर करने की हर प्रणाली सफल है और कारगर है। फिर चाहे वह छोटी सी मेडिकल स्टोर में हजारों दवाई की पैकेट हो या फिर किसी ट्रांसपोर्टर के बहुत बड़े गोदाम में सैकड़ों दुकानदारों का माल भरा हो। 

चीजों को सिस्टमैटिक स्टोर करने के तरीके 

ज्यादातर लोग सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली वस्तुओं को ऐसी जगह पर रखते हैं जहां से आसानी से उठाया जा सके। मेडिकल स्टोर में काउंटर के अंदर बने हुए सेल्फ इसी काम में आते हैं। 
कुछ मेडिकल स्टोर संचालक बीमारियों के हिसाब से दवाइयों के सेल्फ बनाते हैं। जैसे सर्दी, खांसी और जुकाम की दवाइयों के लिए एक सेल्फ और हृदय रोग से जुड़ी हुई दवाइयों के लिए दूसरा सेल्फ। 
 
दवाओं को अल्फाबेटिकल स्टोर करना सबसे आसान है। अल्फाबेट A से शुरू होने वाले नाम वाली दवाइयों के लिए सेल्फ नंबर A और किसी प्रकार Z तक सेल्फ बनाए जा सकते हैं। मान लीजिए किसी एक अल्फाबेट (S) से शुरू होने वाली दवाइयों की संख्या ज्यादा है तो उसके लिए 2 सेल्फ (S-1 और S-2) बनाए जा सकते हैं एवं यदि किसी अल्फाबेट (H) से शुरू होने वाली दवाइयों की संख्या कम है तो एक सेल्फ में दो अल्फाबेट (H-I) वाली दवाइयां रख सकते हैं। 

डॉक्टर की खराब हैंडराइटिंग के बाद भी मेडिकल स्टोर वाला उसे कैसे पढ़ लेता है

मेडिकल स्टोर पर आपके सामने खड़ा हुआ व्यक्ति भले ही आप से कम क्वालीफाई हो परंतु इस बात की नॉलेज उसमें आपसे ज्यादा होती है की कौन सी दवाई किस बीमारी में काम आती है। कई बार वह किसी नए डॉक्टर का पर्चा देखकर दवा का नाम पूरी तरह से पढ़ नहीं पाता, तब वह धीरे से पूछता है कि यह दवा किस बीमारी के लिए है। आपके बताते ही उसे याद आ जाता है और वह सही दवा उठा लाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,) 

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