लड़कियों की शादी की उम्र सुप्रीम कोर्ट में तय करने की मांग - NATIONAL NEWS

नई दिल्ली।
भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके निवेदन किया है कि भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र का निर्धारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जाए। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में दिल्ली और राजस्थान हाईकोर्ट में दो याचिकाएं विचाराधीन है। दोनों को सुप्रीम कोर्ट बुलाकर एक साथ सुनवाई की जाए। ताकि फैसला जल्दी आए और फैसलों में किसी तरह का विरोधाभास ना हो। आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करना चाहते हैं।

भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा इस संबंध में दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार और विधि आयोग को नोटिस जारी किया था। वहीं, इसी साल पांच फरवरी को राजस्थान हाई कोर्ट ने भी अब्दुल मन्नान नामक व्यक्ति की इसी तरह की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य से जवाब तलब किया था। कई सारे मुकदमों और परस्पर विरोधी विचारों से बचने के लिए अश्विनी उपाध्याय ने अपने वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिये याचिका दाखिल करके दोनों याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। फिलहाल विभिन्न कानूनों के तहत लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष है।

शादी की उम्र बढ़ने से बढ़ जाएगी बीए पास महिलाओं की संख्या
अभी देश में 9.8 फीसद महिलाएं ही ग्रेजुएट हैं। एसबीआई इकोरैप का अनुमान है कि महिलाओं की शादी की उम्र को 18 साल से अधिक करने पर देश में ग्रेजुएट होने वाली महिलाओं की संख्या में कम से कम 5-7 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका फायदा यह होगा कि महिलाओं को मिलने वाले वेतन में बढ़ोतरी होगी। मातृत्व मृत्यु दर के साथ शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। 

जल्द ही सरकार महिलाओं की शादी की वैधानिक उम्र में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती है। अभी शादी के लिए महिलाओं की कानूनी उम्र 18 साल तो पुरुष की 21 वर्ष है। इस साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की शादी की उम्र में जल्द ही बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी।

24 अक्टूबर को सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !