कांग्रेस के प्रबंध में भ्रष्टाचार घुस आया है, कठोरता से दूर करना होगा: नेताजी का ऐतिहासिक JABALPUR भाषण याद आया

जबलपुर। कांग्रेस पार्टी में शुरू हुई अंतर कलह ने एक बार फिर आज से 81 साल पहले की यादें ताजा कर दी। 3 मई 1939 को कार्यकर्ताओं ने गांधी मुक्त कांग्रेस को वोट किया था। महात्मा गांधी की मर्जी और अपील के खिलाफ वोट करते हुए कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना था। उस समय नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जो भाषण दिया था, उसका एक-एक शब्द आज भी पूरी तरह प्रासंगिक है।

कॉन्ग्रेस के 52वे त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस ने क्या कहा था

“सर्वप्रथम सत्ता के लोभ के कारण हमारे प्रबंध में जो भ्रष्टाचार घुस आया है, उसे कठोरता से दूर करना होगा। बंधुओं! कॉन्ग्रेस का वर्तमान वातावरण धूमिल हो चुका है और मतभेद उभर आए हैं। फलस्वरूप हमारे अनेक मित्र खिन्न-चित्त और हतोत्साहित हैं। किन्तु मैं अपरिवर्तनीय आशावादी हूँ। आप जिस मेघ को देख चुके हैं, वह गुजरता मेघ है। मुझे अपने देशवासियों के देशप्रेम पर विश्वास है। हमें भरोसा है शीघ्र ही हम इन कठिनाइयों पर विजय पाएँगे। हमारे कार्यकताओं में एकता कायम हो जाएगी।” 

सुभाष चंद्र बोस का भाषण 81 साल बाद क्यों याद आया 

जबलपुर के जहन में इतिहास तो हमेशा ताजा बना रहता है परंतु इन दिनों कांग्रेस पार्टी में जो कुछ चल रहा है उसके कारण 52 वा अधिवेशन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भाषण और उसके बाद हुई राजनीति सब कुछ जमीनी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को वापस याद आ रहा है। जो कार्यकर्ता सिर्फ कांग्रेसी है, वह काफी दुखी है। जबलपुर में 81 साल बाद फिर एक बार चर्चा है कि खास नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी के भावनात्मक बयान से प्रभावित होकर इस्तीफा ना दिया होता।

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