भोपाल। चौथे माह छोटे कर्मचारियों (नवीन शिक्षक संवर्ग) को वेतन न मिलना आखिर किस जुर्म की सजा है? मप्र तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं जिला शाखा नीमच के अध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि लगातार वेतन न मिलना आर्थिक दंड की पराकाष्ठा है। नीमच जिले के नीमच व जावद ब्लाक में चौथे माह का पहला पखवाड़ा बीतने पर भी वेतन के लाले पड़े है।
विडम्बना है कि श्रीमान ओमप्रकाश जी सकलेचा माननीय मंत्री महोदय मप्र शासन भोपाल व श्रीमान जितेन्द्र सिंह राजे डीएम नीमच तक गुहार बेनतिजा रही। केवल मनासा ब्लाक इस मामले में अव्वल रहा है। एक निलंबित कर्मचारी को भी तीन माह तक गुजारे भत्ते के रूप में पचास फीसदी व चौथे मास से वेतन का नब्बे फीसदी दिया जाता है। कोरोना काल में हर स्तर पर ज़रूरतमंदों की मदद की गई। इन शिक्षक कर्मचारियों ने भी समर्पण भाव से मानवतावादी दृष्टिकोण के साथ एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया था। आज सहयोग करने वाले मोहताज हो गये है।
पर्याप्त बजट होने के बाद भी व्यवस्थागत खामियों का खामियाजा इन्हें भुगतना पड़ रहा है। आकाश से टपका, खजूर में अटका अब लटका व भटका वेतन कब मिलेगा? "मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ" मांग करता है कि प्रदेश भर में आबंटित वेतन तमाम प्रक्रियाओं को शिथिल करते हुए तत्काल भुगतान सुनिश्चित किया जावे व तकनीकी कमियों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। निश्चित तौर से वेतन विलंब से शासन की छवि धूमिल हुई हैं।