MP 27% ओबीसी आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट में आज की कार्यवाही का विवरण

जबलपुर: विभिन्न भर्तियों में होल्ड किए गए 18 अभ्यर्थियों ने ओबीसी संगठनों के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्रमांक WP(C) No. 606/2025 दायर की है। इसमें MPPSC 2019 से 2024 तक की दो दर्जन से अधिक भर्तियों में महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर 26% पद होल्ड किए गए हैं, जिनमें 13% OBC और 13% सामान्य वर्ग के हैं। इस याचिका की सुनवाई 25/06/25 को जस्टिस के.वी. विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की खंडपीठ ने की, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर याचिका की प्रति देने का आदेश दिया गया। दूसरी सुनवाई 04/07/25 को जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने की।

13% पदों के विरुद्ध 26% उम्मीदवारों को HOLD क्यों किया जा रहा है

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि मध्य प्रदेश विधानसभा ने 14/08/2019 को 27% reservation का कानून बनाया, जिस पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का कोई स्थगन नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार सभी भर्तियों में 27% reservation का advertisement भी जारी कर रही है। हालांकि, महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह के अभिमत के आधार पर 87% पदों पर नियुक्तियां दी जा रही हैं, जबकि 13% OBC और 13% सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के पद होल्ड किए जा रहे हैं। महाधिवक्ता का तर्क है कि यदि OBC के 27% reservation को कोर्ट मंजूरी देता है, तो होल्ड किए गए 13% OBC पद unhold कर दिए जाएंगे, और यदि 27% reservation खारिज होता है, तो सामान्य वर्ग के 13% होल्ड पद unhold होंगे।

याचिकाकर्ताओं ने खंडपीठ के समक्ष निवेदन किया कि छत्तीसगढ़ के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने 01/05/2023 को अंतरिम आदेश देकर 50% से अधिक आरक्षित पदों, यानी कुल 58% reservation पर याचिका के अंतिम निर्णय तक नियुक्तियों की राहत दी है। समानता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए यह आदेश मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाए। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया और transfer petitions का हवाला देकर OBC को 27% reservation लागू करने का विरोध किया। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि उनकी सरकार नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ के प्रकरणों SLP(C) 18816-17/2022 में 01/05/2023 को पारित अंतरिम आदेश को मध्य प्रदेश में लागू किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अंतरिम आदेश छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर फुल बेंच द्वारा पारित किया गया था।
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